
चैत्र नवरात्रि के दौरान व्रत एवं नियमित पूजा करनेवाले जातक अष्टमी अथवा नवमी तिथि (5 एवं 6 अप्रैल 2025) पर परंपरानुसार कन्या पूजन करते हैं, जिसे ‘कंजक पूजन’ भी कहते हैं. इस दिन सामर्थ्यानुसार न्यून 2 और अधिकतम 9 कन्याओं को देवी स्वरूप पूजते हुए भोजन खिलाया जाता है. इनके साथ भैरव के रूप में एक लड़के को भी आमंत्रित किया जाता है. इनकी 2 वर्ष से 10 वर्ष के मध्य होनी चाहिए. ध्यान रहे मासिक आने की उम्र वाली कन्याओं को कन्या पूजन में शामिल नहीं करना चाहिए. इन्हें आमंत्रण देकर बुलाएं, इनके पैर धोकर पोछने के बाद उन्हें ससम्मान आसन पर बिठाएं. इनके माथे पर चुनरी बांधें, भोजन (हलुवा,पूरी, चना की सब्जी एवं फल) कराएं. भोजन के पश्चात कन्याओं को तिलक करें, उपहार में कुछ वस्तुएं तथा दक्षिणा देकर चरण स्पर्श करें. इनका आशीर्वाद प्राप्त कर ससम्मान विदा करें. इसके पश्चात स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें.
कन्याओं को क्या दें उपहार
कन्या पूजन के दिन कन्याओं की पूजा और भोजन कराने के बाद विदाई से पूर्व दक्षिणा एवं कुछ ना कुछ उपहार देने की परंपरा है. मान्यता है कि ससम्मान और खुशी-खुशी कन्या की विदाई होने के माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं, तथा जातक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कन्याओं को उपहार में श्रृंगार की वस्तुएं उदाहरण के लिए बिंदी, चूड़ी, काजल, कान की बाली, नाक की नथ के अलावा शिक्षा संबंधी पेन, पेंसिल, पुस्तकें आदि दी जा सकती है. अगर आप सामर्थ्यवान हैं तो आमंत्रित कन्याओं को वस्त्र एवं आभूषण अथवा चांदी के सिक्के आदि भी भेंट कर सकते हैं. इन वस्तुओं को थैले में दें यह भी पढ़ें : Navratri 2025 Mehndi Designs: चैत्र नवरात्रि के पर्व की शुभता बढ़ाने के लिए अपने हाथों पर रचाएं ये मनमोहक मेहंदी डिजाइन्स
उपहार में ये वस्तुएं देने से बचें
कन्या पूजन के दौरान कुछ विशिष्ठ वस्तुएं कन्याओं को नहीं देनी चाहिए, वरना माता नाराज हो सकती हैं. कन्या की विदाई के समय प्लास्टिक, स्टील, लोहे अथवा कांच की वस्तुएं नहीं देनी चाहिए. काले रंग के वस्त्र अथवा काला रुमाल भी नहीं देना चाहिए.
ऐसे करें कन्याओं की विदाई
जिस तरह कन्याओं को ससम्मान आमंत्रित किया जाता है, उसी तरह इनकी विदाई करते समय इनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए. कोशिश करें विदाई के समय कोई कन्या रोती हुई विदा न हो. चूंकि ये कन्याएं लक्ष्मी एवं दुर्गा का स्वरूप होती हैं, इसलिए उनकी विदाई के तुरंत बाद घर की साफ-सफाई न करें. ऐसा करने से आर्थिक हानि की संभावनाएं हो सकती हैं. ध्यान रहे कन्याओं की खुशी-खुशी विदाई से ही पूजा सम्पूर्ण रूप से सफल मानी जाती है.