Navratri 2025 Mehndi Designs: चैत्र नवरात्रि के पर्व की शुभता बढ़ाने के लिए अपने हाथों पर रचाएं ये मनमोहक मेहंदी डिजाइन्स
नवरात्रि 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

Chaitra Navratri 2025 Mehndi Designs: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, पूरे नौ दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ स्वरूपों की उपासना करते हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत  30 मार्च 2025 से हुई है, जिसका समापन 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी (Ram Navami) के साथ होगा. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच रहकर उनकी पूजा-अर्चना को स्वीकार करते हुए उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इसके साथ ही मां दुर्गा की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. मां दुर्गा की भक्ति और उपासना में सराबोर होने के साथ ही महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी (Mehndi) रचाना पसंद करती है.

मेहंदी के सुर्ख लाल रंग को शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हर धर्म की महिलाएं अपने पर्व की शुभता बढ़ाने के लिए अपने हाथों पर मेहंदी रचाना पसंद करती हैं. मेहंदी को महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से भी एक माना जाता है. ऐसे में चैत्र नवरात्रि के इस खास अवसर पर आप मां दुर्गा की मनमोहक छवि वाले डिजाइन्स के साथ ही आसान और खूबसूरत मेहंदी को अपने हाथों पर रचा सकती हैं. यह भी पढ़ें: Navratri Mehndi Design: नवरात्रि पर ये स्पेशल मेहंदी डिजाइन अपने हाथों में रचाकर त्यौहार को बनाएं खास, देखें वीडियो

नवरात्रि के लिए खूबसूरत बैकहैंड मेहंदी

ईजी और लेटेस्ट नवरात्रि फ्रंटहैंड मेहंदी

चैत्र नवरात्रि लेटेस्ट मेहंदी डिजाइन

नवरात्रि फ्लोरल लेटेस्ट मेहंदी डिजाइन

मां दुर्गा की छवि वाले 10 मनमोहक डिजाइन्स

मां दुर्गा की छवि वाली मनमोहक मेहंदी 

नवरात्रि 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

मां दुर्गा की छवि वाली खूबसूरत मेहंदी 

नवरात्रि 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

कहा जाता है कि जगत जननी मां दुर्गा की शरण में रहने वाले साधकों को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है, इसलिए मातारानी के अधिकांश भक्त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना करते हैं. इसके बाद अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन और हवन करके व्रत का समापन किया जाता है.