आज ही के दिन 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्ज़िद विध्वंस ( Babri Masjid Demolition) कि घटना घटी थी. बाबरी मस्ज़िद विध्वंस के बाद हिन्दू-मुस्लिम दंगे छिड़ गए जिसमें काफी बेगुनाह हिंदू, मुस्लिम मारे गए. इस सदमें से उबरने में लोगों को काफी वक़्त लगा, जिसे याद करके आज भी लोगों का दिल कांप जाता है. इस घटना को घटे 26 साल हो चुके हैं, ये मुद्दा आज भी कोर्ट में है. इतने सालों बाद भी आये दिन बाबरी मस्ज़िद विध्वंस का मुद्दा राजनीतिक चर्चा में बना रहता है.
इस विध्वंस में तीन लोग शामिल थे, जो कुदाल लेकर मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गए थे. ये तीनो अब मुस्लिम बन चुके हैं. बलबीर सिंह (Balbir singh) और उसका दोस्त योगेंद्र पाल (Yogendra Pal) दोनों बाबरी मस्ज़िद गिराने एक साथ गए थे. बलबीर अब मोहम्मद आमिर (Mohammad Amir) बन गया है और योगेंद्र मोहम्मद उमर (Mohammad Umar) बन गया है. विध्वंस में शामिल तीसरे शख्स का नाम है मोहम्मद मुस्तफ़ा (Mohammad Mustafa) जो पहले शिव प्रसाद हुआ करता था और अयोध्या में बजरंग दल का नेता भी था.
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मस्जिद विध्वंस के बाद तीनो डिप्रेशन में चले गए. उन्हें पछतावा हुआ कि उन्होंने बाबरी मस्ज़िद का विध्वंस करके बहुत बड़ा पाप किया है. इसलिए तीनो ने इस्लाम धर्म को अपना लिया और सौ मस्जिदों के निर्माण कि कसम खाई. आज आमिर यानी बलबीर ने मुसलमान महिला शादी कर ली है. बलबीर अपने साथी योगेंद्र पाल के साथ मिलकर 90 मस्जिद बनवा चुका है. वो इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए स्कूल चलाते है.
आखिर क्या हुआ था 5 दिसंबर को अयोध्या में ?
बलबीर ने अपने एक बयान में कहा के वो और उसका दोस्त योगेंद्र पाल एक साथ अयोध्या गए थे. वहां विश्व परिषद चल रहा था, वहां लालकृष्ण आडवानी, उमा भारती और कल्याण सिंह मंदिर बनवाने के नारे लगा रहे थे. वहां जाकर पता नहीं उन्हें क्या हुआ ? दूसरे दिन यानी 6 दिसंबर को वो और उसका साथी कुदाल लेकर बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गए और बाबरी विध्वंस शामिल हो गये.