नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) को सौ साल पूरे हो गए. शताब्दी स्थापना दिवस के मौके पर जामिया प्रशासन गुरुवार को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. हालांकि इस साल कोरोना (Coronavirus) के चलते तालीमी मेला आयोजित नहीं होगा, लेकिन जामिया स्कूल के विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगे. जामिया प्रशासन ने बताया कि, जामिया की स्थापना उस ब्रिटिश हुकूमत की शैक्षिक व्यवस्था के खिलाफ एक बगावत थी, जो अपना औपनिवेशिक शासन चलाने के लिए सिर्फ बाबुओं को बनाने तक सीमित थी. अपनी इस भूमिका को बखूबी अंजाम देने के पश्चात, आजादी के बाद से आज यह यूनिवर्सिटी सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए देश के दस शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल है. हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच्च स्थान भी मिला.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन से उपजा एक विश्वविद्यालय है. महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन का ऐलान करते हुए भारतवासियों से ब्रिटिश शैक्षणिक व्यवस्था और संस्थानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था. गांधीजी के आह्वान पर, उस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ अध्यापकों और छात्रों ने 29 अक्तूबर 1920 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद रखी. इसको बनाने में स्वत्रंता सेनानी, मुहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, डॉक्टर जाकिर हुसैन, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा, मौलाना महमूद हसन जैसे लोगों का प्रमुख योगदान रहा.
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— Jamia Millia Islamia (Central University) (@jmiu_official) October 29, 2020
1925 में जामिया, अलीगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित हो गई. जामिया के अध्यापक और छात्र पढ़ाई के साथ ही आजादी की लड़ाई के हर आंदोलन में हिस्सा लेते थे. इसके चलते उन्हें अक्सर जेल भी जाना पड़ता था. जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसपंर्क अधिकारी अहमद अजीम ने जानकारी देते हुए बताया, ब्रिटिश शिक्षा और व्यवस्था के विरोध में बने, जामिया मिल्लिया इस्लामिया को धन और संसाधनों की बहुत कमी रहती थी. जिसकी वजह से 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गया. ऐसा लगने लगा कि यह बंद हो जाएगा. लेकिन गांधीजी ने कहा कि 'कितनी भी मुश्किल आए, स्वदेशी शिक्षा के पैरोकार, जामिया को किसी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए.' वहीं गांधी जी ने ये तक कह दिया था कि, 'जामिया के लिए अगर मुझे भीख भी मांगनी पड़े तो मैं वह भी करूंगा'.
@jmiu_official was one of the several prominent educational institutions established in response to the call of non-cooperation by #MahatmaGandhi in August 1920 and the Khilafat movement.@EduMinOfIndia @DrRPNishank @ugc_india pic.twitter.com/m57Z3VHwXm
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जामिया को इस साल नेशनल इन्स्टिटूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 10 वां और देश के सभी शिक्षण संस्थानों में 16 वां स्थान मिला है. हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला. जामिया देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो भारत की तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के लिए, आगे की पढ़ाई के अवसर मुहैया कराता है. उल्लेखनीय है कि सेना के जवान कम उम्र में भर्ती होते हैं और अन्य सेवाओं की तुलना में कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं. ऐसे में सेना में रहते हुए आगे की पढ़ाई करके, अवकाश प्राप्ति के बाद उन्हें अच्छे रोजगार पाने के अवसर मिल जाते हैं.
दरअसल गांधीजी ने जमनालाल बजाज, घनश्याम दास बिड़ला और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय सहित कई लोगों से जामिया की आर्थिक मदद करने को कहा और इन लोगों की मदद से जामिया मुश्किल दौर से बाहर निकाल आया. इसीलिए, जामिया का कुलपति ऑफिस कंपाउंड में फाइनेंस ऑफिस की इमारत जमनालाल बजाज हाउस के नाम से जाना जाता है. महान साहित्यकार, मुंशी प्रेमचंद का भी जामिया से खास रिश्ता रहा. वह अक्सर वहां आकर ठहरा करते थे. उनके गहरे दोस्त, डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे आग्रह किया कि क्यों नहीं वह जामिया में रहते हुए एक कहानी लिखें. मुंशी प्रेमचंद ने रात भर जग कर अपनी कालजयी कहानी 'कफन' यहीं लिखी, जिसे पहली बार 'जामिया पत्रिका' में प्रकाशित किया गया.
साल 2004 में जामिया में मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार और साहित्य केंद्र की स्थापना की गई. इसमें प्रेमचंद की प्रकाशित, अप्रकाशित और अधूरी कहानियों सहित अखबारों-पत्रिकाओं में छपे उनके लेखों का संग्रह है. प्रेमचंद के अलावा अन्य भारतीय सहित्कारों के दुर्लभ कार्य भी यहां उपलब्ध हैं. मौजूदा व़क्त में जामिया में 9 फैकल्टी, 43 विभाग और 27 सेंटर ऑफ हायर स्टडीज एंड रिसर्च हैं जिनमे 270 से अधिक कोर्स पढाये जाते है. वहीं संस्कृत, फारसी, हिन्दी, उर्दू, तुर्की, फ्रेंच भाषा, कोरियाई भाषा और आधुनिक यूरोपीय भाषाओं के कोर्सेज शामिल हैं. विभागों की लिस्ट में 4 नये विभाग अभी हाल में ही में जुड़े हैं जिनमे डिजाइन एंड इनोवेशन, हॉस्पिटल मैनेजमेंट एंड होस्पीटल स्टडीज, एनवायरनमेंटल साइंसेज और डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज शामिल हैं'.