Allahabad HC react on POCSO Act: पॉस्को एक्ट मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अहम टिप्पणी की है. न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने कहा कि पॉस्को अधिनियम 2012 को विशेष कानून माना जाता है. इसलिए सिर्फ आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के आधार पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता है. इसी के साथ कोर्ट ने समन और संज्ञान आदेशों को रद्द करने के साथ-साथ आईपीसी की धारा 376, 313 और POCSO अधिनियम की धारा 3/4 के तहत आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया.
दरअसल, आरोपी के वकील ने कोर्ट को बताया कि विरोधी पक्ष के साथ उसका समझौता हो चुका है. इसलिए, लंबित मामले का निर्णय समझौते के अनुसार किया जाए. इस दौरान पीड़िता के वकील ने भी आरोपी की याचिका का समर्थन किया था.
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क्या आरोपी और पीड़ित के बीच समझौते से पॉक्सो केस हो सकता है रद्द?
POCSO Act Cases Can't Be Quashed On Ground Of Victim Entering Into A Compromise With Accused: Allahabad High Court | @ISparshUpadhyay #AllahabadHighCourt #POCSOAct https://t.co/DtXiSnsD7P
— Live Law (@LiveLawIndia) April 9, 2024
इस पर HC ने कहा- एक बार जब नाबालिग अभियोजक की सहमति अपराध के पंजीकरण के लिए महत्वहीन हो जाती है, तो ऐसी सहमति समझौता सहित सभी चरणों में सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए महत्वहीन रहेगी. केवल इसलिए, क्योंकि नाबालिग अभियोजक बाद में समझौता करने के लिए सहमत हो गया है आवेदक, [POCSO अधिनियम के तहत] कार्यवाही को रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.