भारतीय शेयर बाजार ने रचा इतिहास, निवेशकों की संख्या 10 करोड़ के पार, पिछले 5 महीने में जबरदस्त उछाल

भारत के शेयर बाजार ने अगस्त में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है. राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में पंजीकृत निवेशकों की कुल संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है. यह उपलब्धि भारतीय वित्तीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है.

रिपोर्ट के अनुसार, 9 करोड़ से 10 करोड़ पंजीकृत निवेशकों तक पहुंचने में मात्र पांच महीने का समय लगा, जो नए निवेशकों के बाजार में तेजी से प्रवेश को दर्शाता है. इस अवधि में एक करोड़ नए निवेशक जुड़ गए, जो निवेश के प्रति बढ़ती रुचि को स्पष्ट करता है.

निवेशक संख्या में बढ़ोतरी के कारण

इस वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

1. डिजिटलीकरण में वृद्धि: पिछले कुछ वर्षों में डिजिटलीकरण ने निवेशकों के लिए बाजार को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है.

2. निवेशक जागरूकता: निवेशक शिक्षा और जानकारी में वृद्धि ने लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है.

3. बेहतर बाजार पहुंच: बाजार में प्रवेश की प्रक्रियाएं अब आसान हो गई हैं, जिससे अधिक लोग निवेश कर पा रहे हैं.

4. संगठित रिटर्न: पिछले कुछ वर्षों में शेयरों द्वारा प्रदान किए गए लाभकारी रिटर्न ने नए निवेशकों को आकर्षित किया है, खासकर महामारी के बाद.

रिपोर्ट में कहा गया है, "डिजिटलीकरण में वृद्धि, निवेशक जागरूकता, बेहतर बाजार पहुंच, और अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में स्टॉक्स की बेहतर प्रदर्शन ने महामारी के बाद बाजार भागीदारी में वृद्धि को प्रेरित किया है."

इतिहास में तेजी से बदलाव

भारतीय शेयर बाजार ने पहले करोड़ निवेशकों तक पहुंचने में 25 साल से अधिक का समय लिया था. लेकिन हाल के वर्षों में, विशेषकर युवा निवेशकों की वृद्धि के साथ, यह गति तेजी से बढ़ी है. रिपोर्ट में उल्लेखित है कि नए निवेशक मुख्यतः 20-30 साल की आयु वर्ग में हैं, जो वित्तीय समावेशन और निवेश प्राथमिकताओं में बदलाव को दर्शाता है.

युवा निवेशकों की भागीदारी

यह तेजी से वृद्धि भारतीय युवाओं के बीच वित्तीय समावेशन और निवेश प्राथमिकताओं में बदलाव को उजागर करती है. एक समय था जब शेयर बाजार केवल वित्तीय अभिजात वर्ग के लिए समझा जाता था, लेकिन अब यह एक विविध और युवा जनसंख्या को आकर्षित कर रहा है, जो उच्च रिटर्न के वादे और डिजिटल प्लेटफॉर्म की सुविधा से प्रेरित है.

यह मील का पत्थर न केवल भारतीय शेयर बाजार की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि वित्तीय साक्षरता और समावेशन के प्रति देश की बढ़ती प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है.