ऐसे प्लास्टिक से बने 'तिरंगे' के इस्तेमाल से होता है देश का अपमान
'तिरंगे' का अपमान करने पर हो सकती है जेल (Photo Credits: Facebook)

नई दिल्ली: 'तिरंगा' ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है. 'तिरंगा' ध्‍वज हर भारतीय की शान है. यह देश के प्रत्येक नागरिकों के आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है. स्वतंत्रता दिवस आने में महज कुछ ही दिन बचे है. इसलिए सभी ओर इसे मानाने की तैयारिया पूरे जोर शोर से चल रही है. वहीं केंद्र सरकार ने देश के सभी नागरिकों से प्लास्टिक के बने राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है.

गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में प्लास्टिक के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी गई है. इसके अलावा सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से ध्वज संहिता का सख्ती से पालन सुनिश्चत करने के लिए कहा गया है. परामर्श में गृह मंत्रालय ने कहा कि "राष्ट्रीय ध्वज भारत की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए इसे सम्मान का दर्जा मिलना चाहिए."

गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर प्लास्टिक से बने तिरंगे झंडे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. ध्यान देने वाली बात है कि प्लास्टिक के झंडे कागज के झंडों की तरह प्राकृतिक तरीके से नष्ट नहीं होते हैं. उचित निस्तारण नहीं होने के कारण लंबे समय तक यहां-वहां जमीन पर गिरे रहते है जिससे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान होता है. इसलिए सभी को केवल कागज के बने झंडों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

'तिरंगे' का अपमान करने पर हो सकती है जेल-

‘राष्ट्रीय सम्मानों के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971’ की धारा 2 के अनुसार कोई भी किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी अन्य स्थान पर जहां लोगों की नजरें हैं, वहां भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या उसके किसी हिस्से को जलाता है, बुरी तरह नष्ट करता है, विकृत करता है, गंदा करता है, उसकी आकृति बिगाड़ता है, उस पर पैर रखता है या अन्य किसी भी तरह से बोले या लिखे शब्दों या कृत्यों से उसके प्रति असम्मान प्रकट करता है अथवा अवमानना करता है, उसे जेल की सजा दी जा सकती है जो तीन साल तक की हो सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों से ही दंडित किया जा सकता है.