7th pay commission: मोदी सरकार अब तक अपने लाखों कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में बढ़ोतरी को लेकर फैसला नहीं ले सकी है. इस बीच देशभर के न्यायिक अधिकारियों के वेतन और पेंशन में जल्द ही वृद्धि का ऐलान केंद्र सरकार कर सकती है. दरअसल दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों में वृद्धि की सिफारिश की है.
देशभर में न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्ते में संशोधन के प्रस्तावों पर आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे सौंप दी है. इसमें न्यायिक अधिकारियों का वेतन तीन गुना बढ़ाने और 2016 से पेंशन और भत्तों में बढ़ोतरी की सिफारिश की है. बकाये का भुगतान इसी साल किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट इस बारे में अंशधारकों के विचार सुनने के बाद उचित निर्देश देगा. उसके बाद श्रम और रोजगार मंत्रालय इन सिफारिशों को क्रियान्वित करेगा. 7th Pay Commission: पेंशनभोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी, केंद्र सरकार ने पेंशन नियम में किया ये अहम बदलाव
अधिकारिक बयान के मुताबिक यह वृद्धि देशभर में न्यायिक अधिकारियों को मिलेगी. दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग का गठन शीर्ष अदालत के आदेश पर मई, 2017 में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ के मामले की सुनवाई के दौरान दिया था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पी वेंकटरामा रेड्डी इस समिति के प्रमुख हैं.
गौर हो कि देश के कुछ उच्च न्यायालयों (High Court) ने न्यायिक अधिकारियों के लिए 7वें सीपीसी (7th CPC) वेतनमान को अपनाया जिसमें सिविल जज (जूनियर डिविजन) के 73,200 रुपये (वेतन स्तर -10) से जिला जज (सुपरटाइम स्केल) 2,24,1000 रुपये (वेतन स्तर -15) शामिल हैं. न्यायमूर्ति पद्मनाभन समिति द्वारा अपनाए गए तरीके के अनुसार मास्टर पे स्केल आया जिसके अंतर्गत निचली न्यायपालिका के जजों का वेतनमान 77840 रुपये -2160-92960-2590-113680-3030-137920-3460-165600-3880-188880 से 214486 आया. आयोग ने प्रस्ताव किया कि कुछ वर्षों के लिए इंक्रीमेंट के बिना मास्टर पे स्केल में वेतनमान ढांचे को तय करने का काम उच्च न्यायालय के जजों के वेतन मॉडल के अनुसार किया जाना चाहिए.