हैदराबाद: भारतीय (Indians) भले ही अपने आपको कितना ही दिमाग वाला क्यों न समझते हों, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन (Study) में भारतीयों के मस्तिष्क (Indian Brain) को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, हैदराबाद (Hyderabad) स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (International institute of Information Technology) के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पश्चिमी और पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के दिमाग का आकार छोटा है. इस अध्ययन के अनुसार, पश्चिमी और पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में औसत रूप से भारतीयों के दिमाग की लंबाई, चौड़ाई और भार में कमी पाई गई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, हैदराबाद के इस संस्थान ने भारतीय दिमाग का एक एटलस तैयार किया है, जिसकी मदद से अल्जाइमर और मस्तिष्क से जुड़ी अन्य गंभीर बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सकेगा. इस अध्ययन की रिपोर्ट तंत्रिका-विज्ञान(न्यूरोलॉजी) की मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी इंडिया (Neurology India) में प्रकाशित हुई है.
सेंटर फॉर विजुअल इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (Centre for Visual Information Technology) में कार्यरत जयंती सिवास्वामी (Jayanthi Sivaswamy) इस अध्ययन से जुड़ी हुई हैं. उनका कहना है मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (Montreal Neurological Institute-MNI) टेम्पलेट, जिसका इस्तेमाल मानक के तौर पर किया जाता है. इसे कोकेशियान दिमाग (Caucasian Brains) की मदद से विकसित किया गया था. शोधकर्ताओं के अनुसार. यह भारतीयों में दिमाग संबंधी अंतर का विश्लेषण करने के लिए आइडियल पैटर्न नहीं है. यह भी पढ़ें: World Alzheimer's Day 2019: आज है वर्ल्ड अल्जाइमर डे, क्या है ये बीमारी? जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके
उन्होंने कहा कि एमएनआई की तुलना में भारतीयों का दिमाग छोटा होता है और स्कैन के बाद जो आंकड़े सामने आए हैं वो चिंताजनक है. जयंती सिवास्वामी के मुताबिक, चीनी और कोरियन दिमागी टेम्पलेट भी विकसित जा चुके है, लेकिन भारतीयों के लिए अब तक कोई ऐसा टेम्पलेट विकसित नहीं किया गया था.
गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित आईआईआईटी (IIIT-H) की टीम मे भारतीयों के दिमाग के टेम्पलेट को विकसित करने की दिशा में पहला प्रयास किया है. दिमाग के इस इस एटलस को तैयार करने के लिए 50 महिलाओं और 50 पुरुषों का एमआरआई किया गया. इस दौरान किसी भी तरह की अनियमितता या गड़बड़ी से बचने के लिए तीन अलग-अलग अस्पतालों में तीन अलग-अलग स्कैन किए गए.