यूनाइटेड किंगडम : आज कोविड-19 की वैक्सीन को आम लोगों के लिए मुहैया कराने वाला पहला देश बनने जा रहा है, वहीं दक्षिण कोरिया की सरकार वैक्सीन के प्रबंधन की योजना का ऐलान आज करेगी. भारत की बात करें तो फाइज़र कंपनी द्वारा किए गए आवेदन पर भारत सरकार अभी विचार कर रही है. कुल मिलाकर देखें तो दुनिया में 50 से अधिक वैक्सीन अपने अंतिम चरण पर हैं. रही बात लोगों तक वैक्सीन को पहुंचाने की, तो भारत की सप्लाई चेन बहुत मजबूत है.
लेडी हार्डिंग कॉलेज के चिकित्सक डॉ. घनश्याम पांग्टेय की मानें तो भारत में भी वैक्सीन पर पूरा जोर चल रहा है. हमारे यहां दो वैक्सीन अंतिम चरण में हैं. उन्होंने कहा कि पांच से छह वैक्सीन जनवरी तक अप्रूव हो सकती हैं. अमेरिका की फूड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि जो भी वैक्सीन 50 प्रतिशत से अधिक कारगर है, उसे अप्रूवल दे देना चाहिए. हमारी वैक्सीन 70 से 90 प्रतिशत तक प्रभावी हैं. मुझे लगता है कि तीन-चार वैक्सीन जल्द ही मार्केट में आ जायेंगी.
वैक्सीन से जुड़े कुछ सवाल और डॉ. पांग्टेय के जवाब :
1) वैक्सीन को अप्रूवल देने से पहले किन चीजों का ध्यान रखा जाता है?
डॉ वैक्सीन वो होती है, जो बीमारी को रोकती है, उसे ठीक करने के लिए नहीं होती है. जिनको कोविड नहीं हुआ है, उनके लिए यह वैक्सीन बनायी जा रही है. जिनको हो चुका है उनको इस वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी. हमारे पास वैक्सीन के इस्तेमाल का 100 से अधिक वर्षों का अनुभव है. वैक्सीन को बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं. इंफ्लुएंजा महामारी के करीब 100 साल बाद कोविड-19 आया है. पहले की तुलना में अब हम तकनीकी रूप से सशक्त हैं. 12 महीने में वैक्सीन का निर्माण बहुत बड़ी उपलब्धि है.
2) वैक्सीन के स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन पर आप क्या कहेंगे?
वैक्सीन के डिस्ट्रब्यूशन में कोल्ड चेन मैनेजमेंट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पोलियो की वैक्सीन में भी कोल्ड चेन की अहम भूमिका रहती है. जैसा कि सभी जानते हैं कि हम दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में से एक हैं, और हम इसके कोल्ड चेन मैनेजमेंट में भी बहुत आगे हैं. हमें पता है कि किस तरह वैक्सीन को फ्रीजर में रख कर लोगों तक पहुंचानी है. पोलियो से जंग में हमने बड़े-बड़े शहरों से लेकर दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाकों तक वैक्सीन डिलीवर की. हमने छोटे-बड़े हर प्रकार के फ्रिज का इस्तेमाल किया.
3) ऐसी वैक्सीन जो माइन 70 डिग्री सेल्सियस तक रखनी होती है, उनका वितरण कैसे होगा?
अभी तक फाइज़र की वैक्सीन है, जिसे रखने के लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तक तापमान की जरूरत होती है. इस प्रकार की वैक्सीन का वितरण बड़ी चुनौती होगा. हो सकता है इस वैक्सीन को बड़े शहरों में बड़े-बड़े फ्रीज़र लगाकर वितरित करे. वहीं ग्रामीण इलाकों तक ऐसी वैक्सीन पहुंचाने के लिए सुपर थर्मस का प्रयोग किया जा सकता है. इस पर हमारी सरकार बहुत महीन तरीके से काम कर रही है. इसमें भारतीय सेना की मदद भी ली जा सकती है.
4) क्या माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर रखी जाने वाली वैक्सीन अभी तक कहीं दी गई है?
अफ्रीका में जब इबोला वायरस आया था, तब एक वैक्सीन दी गई थी, जिसे माइनस 70 डिग्री तो नहीं, हां उसे माइनस 50 से 60 डिग्री तक तापमान चाहिए होता है. उन्होंने सहारा मरुस्थल में रहने वाले लोगों तक भी यह वैक्सीन पहुंचाई. वहां सुपर थर्मस की बड़ी भूमिका रही. इस थर्मस में ड्राई आईस या बर्फ रख कर वैक्सीन स्टोर की जाती है.
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5) साधारण इंफ्लुएंजा वैक्सीन को कितने डिग्री तापमान पर रखा जाता है?
साधारण फ्लू वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान पर रखा जाता है. उसके लिए फ्रीजर की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन कुछ वैक्सीन होती हैं, जिनको माइनस 10 डिग्री तक तापमान की जरूरत पड़ती है, उसमें साधारण फ्रिज के फ्रीजर से काम चल जाता है, लेकिन कोविड की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री तापमान की जरूरत होगी. उसके लिए ड्राई आइस की जरूरत पड़ेगी, जो सॉलिडिफाई कार्बन डाइऑक्साइड होती है. यह विस्फोटक होती है, छूने पर हाथ को नुकसान पहुंच सकता है.