
US Tariff Shock! India's Strategy for Economic Balance: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार प्रणाली में एक नया मोड़ देते हुए 'डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ' लागू करने की घोषणा कर दी है. इस निर्णय को अमेरिका के लिए 'मुक्ति दिवस' करार देते हुए ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने का फैसला किया है. यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है.
अपने संबोधन में ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिका दौरे का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत अमेरिका से 52% टैरिफ वसूलता है, इसलिए अमेरिका भी आधे, यानी 26% टैरिफ वसूलेगा.
भारत पर पड़ने वाला प्रभाव
1. भारतीय निर्यात पर असर
इस नई नीति का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा. विश्लेषकों का मानना है कि भारत के कपड़ा, परिधान, और आभूषण (ज्वेलरी) सेक्टर को सबसे ज्यादा झटका लगेगा. भारत से अमेरिका को 36 अरब डॉलर के कपड़ा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 28% है, जो अब संकट में आ सकती है.
LIBERATION DAY RECIPROCAL TARIFFS 🇺🇸 pic.twitter.com/ODckbUWKvO
— The White House (@WhiteHouse) April 2, 2025
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इस टैरिफ नीति से प्रभावित हो सकते हैं. अमेरिका भारतीय मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स, और दवा उद्योग के बड़े उपभोक्ताओं में से एक है. बढ़ते टैरिफ के कारण इन क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो सकता है.
2. आर्थिक संतुलन और नए व्यापार मार्ग
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार विकसित हो रही है और सरकार नए व्यापार मार्गों (यूरोप, मध्य पूर्व, एशिया) पर काम कर रही है, जिससे इस झटके का असर कम किया जा सकता है. SBI की रिपोर्ट के अनुसार, इससे भारत के कुल निर्यात में 3-3.5% तक की गिरावट हो सकती है, लेकिन निर्माण और सेवा क्षेत्रों में विस्तार से नुकसान की भरपाई संभव होगी.
JUST IN: Trump pulls out his Reciprocal Tariff chart to explain how his new tariffs will be imposed on each country.
The announcement came on the highly anticipated Liberation Day.
Trump said he is going easy on countries by issuing discounted reciprocal tariffs.
China: 34%… pic.twitter.com/QoZSdw0yru
— Collin Rugg (@CollinRugg) April 2, 2025
इसके अलावा, भारत अन्य देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में प्रयास कर रहा है. चीन, यूरोप, और अफ्रीका के साथ भारत के व्यापार को बढ़ावा देकर इस नुकसान की भरपाई की जा सकती है.
3. भारतीय उपभोक्ताओं पर असर
टैरिफ बढ़ने से आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. इससे खासतौर पर टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, अमेरिका से आयात किए जाने वाले iPhones, लैपटॉप, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय ग्राहकों के लिए ये उत्पाद महंगे हो सकते हैं.
इसके अलावा, अमेरिका से आने वाले खाद्य उत्पादों, विशेष रूप से बादाम, अखरोट, और सेब जैसी वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है.
भारत की रणनीति
1. व्यापार संतुलन की नीति
डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी एक अवसर लेकर आ सकता है. भारत अब उन देशों पर टैरिफ बढ़ाने की रणनीति अपना सकता है, जो भारतीय निर्यात पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं. भारत इस नीति का उपयोग कर अपने घरेलू उद्योगों को सुरक्षा दे सकता है.
2. द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA)
हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका में द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर चर्चा की थी, जिसमें टैरिफ में छूट की मांग की गई थी. भारत और अमेरिका वर्ष के अंत तक एक व्यापार समझौता करने की योजना बना रहे हैं, जिसका दीर्घकालिक लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है.
यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारत को इस टैरिफ से छूट मिल सकती है, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहेगी.
3. स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा
इस टैरिफ नीति से भारत को अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ाने का अवसर मिलेगा. यदि अमेरिका से आने वाले उत्पाद महंगे होते हैं, तो इससे स्थानीय निर्माताओं को फायदा होगा और 'मेक इन इंडिया' को बल मिलेगा.
🚨 #BREAKING: President Trump just officially signed the order mandating reciprocal tariffs across the board
America WILL NO LONGER be taken advantage of by every country on the planet!
We’re back! 🇺🇸
🎥 @MargoMartin47 pic.twitter.com/vCaIJxE4Nv
— Nick Sortor (@nicksortor) April 2, 2025
भारत सरकार पहले से ही आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. यह टैरिफ नीति इस अभियान को और अधिक गति प्रदान कर सकती है.
4. नए निर्यात बाजारों की तलाश
अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण भारत को अन्य बाजारों में अपने निर्यात को मजबूत करने की जरूरत होगी. भारत यूरोपीय संघ, अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशियाई बाजारों में अपने उत्पादों की उपस्थिति बढ़ा सकता है.
अमेरिका का यह नया टैरिफ नीति भारत के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों लेकर आया है. जहां कुछ उद्योगों को इससे नुकसान हो सकता है, वहीं यह भारत को अपनी व्यापारिक नीतियों में लचीलापन लाने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी देगा. भारत को इस परिस्थिति से निपटने के लिए कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर संतुलित रणनीति अपनानी होगी.
अब देखना यह होगा कि भारत इस नई चुनौती से कैसे निपटता है और क्या रणनीति अपनाता है. आने वाले महीनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ताओं से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह टैरिफ नीति वास्तव में किस दिशा में जाती है.