कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में पढ़ने वाले एक छात्र ने हाल ही में कहा कि कॉलेज में एक भी फीमेल फ्रेंड नहीं बना पाने के कारण उसके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है. रेडिट पर लिखते हुए, छात्र ने कहा कि उसे एहसास है की दोस्ती "लिंग-निर्भर" नहीं होनी चाहिए, लेकिन महिला मित्रों की अनुपस्थिति ने उसे ऐसा महसूस कराया जैसे वह "सामाजिक संपर्क के एक महत्वपूर्ण पहलू" को खो रहा है. छात्र ने लिखा, "मैं उन तक पहुंचना और कुछ शेयर करना चाहता था जो हाल ही में मेरे दिमाग पर भारी पड़ रहा है. मैं वर्तमान में IITK में एक छात्र हूं, और मैं खुद को ऐसी स्थिति में पाता हूं जहां मेरी महिलाओं के साथ शून्य बातचीत होती है." Unread Emails in Inbox: हजारों अनरीड ईमेल्स से भर गया है आपका इनबॉक्स? जानें क्या हैं इसके नुकसान.
इस छात्र ने लिखा, "यह कुछ लोगों को मामूली लग सकता है, लेकिन हाल ही में इससे मुझे काफी निराशा महसूस हो रही है. मुझे एहसास हुआ है कि जब से मैं यहां आया हूं मुझे एक भी फीमेल फ्रेंड बनाने का अवसर नहीं मिला है, और इसका मेरे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा है."
छात्र ने कहा कि अगर उसके जीवन में चल रहा चलन जारी रहा, तो उसे डर है कि वह शादी होने तक कभी भी महिलाओं के साथ कनेक्शन नहीं बना पाएगा. छात्र ने लिखा, "मुझे चिंता है कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी, और जब तक अरेंज मैरिज नहीं हो जाती, मुझे महिलाओं के साथ वास्तविक संबंध बनाने का मौका कभी नहीं मिलेगा. मैं इस पैटर्न से बाहर निकलना चाहता हूं और उनके साथ दोस्ती करना चाहता हूं, लेकिन मुझे नहीं पता यह कैसे होगा."
छात्र ने समस्या को दूर करने के लिए सुझाव मांगते हुए पोस्ट समाप्त की और समस्या से निपटने के लिए उसकी पोस्ट पर कई प्रतिक्रियाएं भी मिलीं. कुछ लोगों ने कहा महिलाओं के पीछे न भागें और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज की तरफ ध्यान मोड़ें. पढ़ाई से परे कुछ गतिविधियों में निपुण हो जाएं. महिलाओं को दयालु, चौकस और आत्मविश्वासी पुरुष पसंद होते हैं. स्वाभाविक रहें इससे आप महिलाओं के अच्छे दोस्त बन सकते हैं.