Barfi Devi Death: हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले की 95 वर्षीय बर्फी देवी का 8 नवम्बर को निधन हो गया, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी आश्रित पेंशन पाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से 12 साल लंबी लड़ाई लड़ी. लेकिन नौकरशाही की लापरवाही के कारण उनकी पेंशन में देरी हुई, जबकि गृह मंत्रालय ने उनकी पूरी पात्रता को स्वीकार किया था. हरियाणा सरकार से रिकॉर्ड की स्पष्टता मांगे जाने के बाद मामला लंबित रहा, और कोविड-19 के प्रभाव ने उनके मामले को और बढ़ा दिया. इसके बाद, कुछ तकनीकी समस्याओं, जिसमें उनके और उनके पति के नामों की वर्तनी में मामूली गलतियां, देरी का कारण बनीं. जिसके चलते उन्हें पेंशन नहीं मिल सका और उनका देहांत हो गया.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय (HMA) ने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या "बर्फी देवी" और "बरफी देवी" नाम एक ही हैं? गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट करने की मांग की कि उनके दिवंगत पति का नाम सुल्तान सिंह था या सुल्तान राम, क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ जैसे बैंक पासबुक और पैन कार्ड में नाम अलग-अलग पाए गए थे. यह भी पढ़े: Ae Watan Mere Watan: ‘ऐ वतन मेरे वतन’ से Emraan Hashmi की पहली झलक आई सामने, स्वतंत्रता सेनानी राम मनोहर लोहिया का निभाएंगे किरदार (View Pic)
पति की मौत के बाद पेंशन बंद हुआ:
बर्फी देवी के पति सुल्तान राम को 1972 से पेंशन मिल रही थी, लेकिन उनके पति की 2012 में मौत के बाद उनके जीवन प्रमाण पत्र को अपडेट न किए जाने के कारण पेंशन बंद कर दी गई। नियमों के अनुसार, स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित के रूप में बर्फी देवी पेंशन पाने के लिए अपना मामला आगे बढ़ा रही थीं.
महेंद्रगढ़ के डिप्टी कमिश्नर (DC) कार्यालय ने भी उनके दावों की पुष्टि करने के बाद केंद्र को उनके मामले की सिफारिश की थी. सितंबर 2023 में, उन्होंने पेंशन पाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन केंद्र ने जवाब दाखिल नहीं किया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने दो बार जुर्माना लगाया.
मां के निधन पर बेटी सुमित्रा देवी का बयान:
मां के निधन पर बर्फी देवी की बेटी सुमित्रा देवी ने कहा कि उनकी मां इस बात से बहुत दुखी थीं कि उन्हें उनके पिता की पेंशन नहीं दी जा रही थी, जिसे उन्होंने देश की सेवा करके गर्व के साथ अर्जित किया था. जिसको लेकर वे दुखी हैं.