HC on Fake Rape Case: समझदार लड़की पहली मुलाकात में होटल के कमरे में नहीं जाएगी! हाई कोर्ट ने रेप आरोपी को किया बरी, जानें पूरा मामला

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने बलात्कार के एक आरोपी को बरी करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि कोई भी समझदार लड़की अपनी पहली मुलाकात में किसी अज्ञात लड़के के साथ होटल के कमरे में नहीं जाएगी, क्योंकि यह व्यवहार उसे लड़के के इरादों पर "सावधान" कर देगा.

न्यायमूर्ति गोविंद सनाप ने एक ऐसे बलात्कार मामले में पीड़िता के बयान को अस्वीकार कर दिया, जिसमें लड़की ने कहा था कि वह आरोपी से फेसबुक पर मिली थी और फिर दोनों के बीच फोन पर बातचीत शुरू हुई थी.

केस का विवरण

इस मामले में यह बताया गया कि फरवरी 2017 में वह लड़का, जो किसी अन्य जिले में रहता था, लड़की के कॉलेज में उससे मिलने आया. मार्च 2017 में उसने लड़की को अपने पास के एक होटल में मिलने बुलाया.

लड़की के अनुसार, वह होटल पहुंची, जहां लड़के ने कहा कि उसने एक कमरे की बुकिंग की है ताकि वह कुछ "जरूरी मुद्दों" पर बात कर सके. होटल के कमरे में प्रवेश करने के बाद, दोनों ने आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए. लड़की ने आगे आरोप लगाया कि लड़के ने उसके आपत्तिजनक फोटो क्लिक किए और उन्हें फेसबुक पर अपलोड कर दिया, साथ ही यह तस्वीरें उसके परिवार और मंगेतर को भी भेज दीं, जिसके बाद उसने लड़के से संबंध तोड़ लिए.

इसके बाद, लड़की ने आरोप लगाया कि लड़के ने उसकी फोटो उसके मंगेतर को भी भेजी, जिसके चलते अक्टूबर 2017 में उसने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया.

कोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति सनाप ने इस कहानी को "अविश्वसनीय" करार दिया. उन्होंने कहा कि पीड़िता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह पहली बार होटल में लड़के से कब मिली और कैसे उसे बलपूर्वक शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया.

उन्होंने कहा, "पीड़िता पहली बार होटल में आरोपी से मिली थी. वह उससे पहले से परिचित नहीं थी. मेरी राय में, पीड़िता का यह आचरण सामान्य परिस्थितियों में किसी समझदार व्यक्ति के आचरण के अनुरूप नहीं है."

न्यायमूर्ति ने यह भी कहा, "पहली बार किसी अज्ञात लड़के से मिलने वाली लड़की होटल के कमरे में नहीं जाएगी. ऐसे आचरण से लड़की को निश्चित रूप से चेतावनी मिलनी चाहिए थी. मेरी नजर में, घटना का होटल के कमरे में होना पूरी तरह से अविश्वसनीय प्रतीत होता है."

फैसले का आधार

कोर्ट ने यह भी देखा कि पीड़िता ने घटना के बाद शोर नहीं मचाया, न ही उसने मदद के लिए कोई प्रयास किया. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई लड़की पहली बार किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ होटल के कमरे में जाती है और उसे किसी तरह की परेशानी होती है, तो वह जरूर शोर मचाएगी या मदद की गुहार लगाएगी.

कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता और उसके पिता की गवाही में भी कई विरोधाभास थे. पीड़िता के पिता ने बताया कि जब आरोपी ने मार्च 2017 में फोटो अपलोड की तो उन्हें आरोपी की हरकतों के बारे में पता चला, लेकिन फिर भी केस अक्टूबर 2017 में दर्ज कराया गया, जो कि सवाल उठाने वाली बात है.

अंततः, न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि पीड़िता और अन्य गवाहों की गवाही, साथ ही चिकित्सा साक्ष्य से मामला मजबूत नहीं बनता है. इसलिए, अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया.

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय ने मामले की सभी परिस्थितियों और गवाहों की गवाही का गंभीरता से विश्लेषण किया और तथ्यों के आधार पर आरोपी को बरी किया. यह मामला समाज में रिश्तों और न्याय प्रणाली के प्रति लोगों की समझ को और गहराई से देखने की आवश्यकता को भी उजागर करता है.