CM House Renovation Row: दिल्ली के LG ने सीएम हाउस के रेनोवेशन का मांगा रिकॉर्ड, केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी ने जताई चिंता
सीएम अरविंद केजरीवाल (Photo Credits ANI)

CM House Renovation Row: दिल्ली की लोकनिर्माण मंत्री आतिशी ने रविवार को उपराज्यपाल को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने 27 अप्रैल को एलजी द्वारा मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र पर गंभीर चिंता जताई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रेनोवेशन पर लगभग 30 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की बात सामने आई है.  अब उपराज्यपाल ने इससे संबंधित रिकॉर्ड मांगा है। गौरतलब है कि दिल्ली में विपक्षी दल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने अपने सरकारी आवास को भव्य रूप देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। इन आरोपों के मुताबिक, मुख्यमंत्री आवास को आलीशान बनाने के लिए यहां महंगे टेलीविजन, कालीन,पत्थर, मार्बल, पर्दे आदि लगाए गए हैं.

उपराज्यपाल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह इस खर्च से जुड़े रिकॉर्ड उन्हें प्रदान करें। दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री, उपराज्यपाल के इस कदम को असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक बता रही हैं। एलजी ने अपने पत्र में सीएम हाउस के रेनोवेशन कार्य से संबंधित कार्यो की समीक्षा के लिए संबंधित रिकॉर्ड पेश करने के लिए निर्देशित किया है। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कहा है कि एलजी के पास इस प्रकार की कार्रवाई के लिए निर्देश देने की कोई शक्ति नहीं है। वह कानून को तोड़कर किसी अधिकारी को सीधे आदेश नहीं दे सकते.

पीडब्ल्यूडी आतिशी ने एलजी को लिखे पत्र में कहा है कि उपराज्यपाल का पत्र असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। बतौर पीडब्ल्यूडी मंत्री वह (आतिशी) स्वयं लोकनिर्माण विभाग से संबंधित सभी सरकारी कार्यो के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा है कि एलजी द्वारा रिकॉर्ड को जब्त करने और कार्रवाई करने का निर्देश देने वाला यह पत्र न सिर्फ उनके कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से पूरी तरह बाहर है.

पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने पत्र के जरिए एलजी से अनुरोध किया है कि वह अपने पत्र को वापस लें और दिल्ली व लोगों के लिए संविधान द्वारा निर्धारित शासन व्यवस्था को बहाल करें। उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 239एए के तहत संवैधानिक योजना का लगातार स्थानांतरण दिल्ली के लोगों के लोकतांत्रिक जनादेश को नगण्य कर देगा। उन्होंने यह उम्मीद जताई है कि उपराज्यपाल के कार्यो को देखते हुए चुनी हुई सरकार को एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा.