जम्मू-कश्मीर: शोपियां मुठभेड़ पीड़ितों के शवों को परिवारों को सौंपा गया, परिजनों का दावा; फर्जी मुठभेड़ में आतंकवादी बताकर किया गया एनकाउंटर
मौत I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

श्रीनगर, 3 अक्टूबर: जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) के शोपियां जिले में 18 जुलाई को हुए मुठभेड़ में कथित तौर पर मारे गए तीन नागरिकों के शवों को शनिवार को अंतिम संस्कार के लिए परिवारों को सौंप दिया गया. जम्मू संभाग के राजौरी जिले से ताल्लुक रखने वाले तीनों नागरिकों के शव 70 दिनों के बाद उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के गंतमुल्ला क्षेत्र में एक कब्रिस्तान से निकाले गए. इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मुहम्मद इबरार के परिवारों ने दावा किया था कि उनके बेटे शोपियां जिले में मजदूरों के रूप में काम करने आए थे और फर्जी मुठभेड़ में आतंकवादी बताकर मार दिए गए.

परिवारों ने जब अपने बच्चों से संपर्क खो दिया, तब उन्होंने सोशल मीडिया पर 18 जुलाई को शोपियां जिले के अम्सिपोरा गांव में मुठभेड़ के बाद पोस्ट की गई उनकी तस्वीरों में उनकी पहचान की. तीनों मारे गए युवाओं के डीएनए नमूनों के मिलान के बाद परिजनों के दावे की पुष्टि की गई. इसके बाद पुलिस मारे गए लोगों के आतंकवादी लिंक को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं जुटा सकी.

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सेना द्वारा आयोजित प्रारंभिक जांच अदालत ने स्वीकार किया कि अम्सिपोरा मुठभेड़ को अंजाम देने वालों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देने के लिए निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नजरअंदाज कर अपनी सीमा को पार कर गए.

सुरक्षा बलों के मुखबिर के रूप में काम करने वाले तीन स्थानीय लोगों से भी सेना की अदालत ने पूछताछ की थी. पुलिस ने इन 'मुखबिरों' को हिरासत में ले लिया है और मुठभेड़ में उनकी की भूमिका अब जांच की जा रही है.