लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. इसी क्रम में ‘पेशेंट पूलिंग’ (Patient Polling) पर काम किया जा रहा है. जिसके तहत प्रशासन कम मरीज वाली जगहों से कोविड-19 (COVID-19) सक्रमितों को इलाज के लिए दूसरी जगह लेकर जाएगी. इस संबंध में यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद समेत उच्च अधिकारियों ने अहम बैठक की.
मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पूरा प्रशासन ‘पेशेंट पूलिंग’ को जल्द शुरू करने के काम में जुट गया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना पॉजिटिव के मामलें जिन जिलों में कम है, वहां ‘पेशेंट पूलिंग’ एक बेहतर विकल्प साबित होगा. इससे कम संसाधनों के साथ ही बेहतर सुविधाएं देने में मदद मिलेगी. साथ ही जिन छह मंडल मुख्यालयों मेडिकल कॉलेज मौजूद नहीं है, वहां कोविड-19 टेस्टिंग लैब बनाया जा रहा है. प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कोविड-19 की जांच के लिए कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे. कोरोना वायरस: पृथक वार्ड में तैनात नर्स से की गई मारपीट, दो गिरफ्तार
प्रदेश में 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें से 12 मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड किया जा रहा है. इन मेडिकल कलेजों में नई बीएसएल-3 लैब बनाई जा रही है, जहां किसी भी प्रकार के वायरस की जांच के साथ-साथ रिसर्च की भी सुविधा उपलब्ध होगी. इसके अलावा देवीपाटन (गोंडा), मिर्जापुर, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़ और वाराणसी के बीएचयू हॉस्पिटल में एक लैब बनाने की प्रक्रिया चल रही है.
‘पेशेंट पूलिंग’ क्यों जरुरी?
दरअसल उत्तर प्रदेश के कई जिलों में केवल एक-दो कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज है. जिनके इलाज के लिए पूरा मेडिकल सिस्टम बनाया जाता है और वर्तमान स्वास्थ्य सिस्टम प्रभावित होता है. ‘पेशेंट पूलिंग’ शुरू होने पर कोरोना वायरस मरीज को किसी बेहतर अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा. जिससे वहां का मेडिकल सिस्टम प्रभावित नहीं होगा.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते से कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ी है. बुधवार सुबह तक प्रदेश में कुल 326 केस हैं और इनमें से 168 केस तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं. जबकि तीन मरीजों की मौत हो गई.