Coronavirus: सोसायटी, गेटेड कॉलोनी में कोविड केयर सेंटर बनाने की योजना
कोरोना वायरस (Photo Credits: PTI)

देश के महानगरों में कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए सरकार ने एक नई चिकित्सा व्यवस्था की योजना बनायी है. इस योजना के तहत महानगरों की गेटेड कॉलोनी और सोसाइटी में कोविड केयर सेंटर बनाने की योजना है. ऐसे में कोविड मरीज को समय पर इलाज मिल सकेगा और अस्पताओं पर भार कम पड़ेगा. इस बारे में जानकारी देते हुए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजेंद्र कुमार धमीजा ने बताया कि छोटी-छोटी सोसायटी या गेटेट कॉलोनी में कोविड केंद्र बनाने पर विचार हो रहा है. हमारे देश में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां छोटे-छोटे कोविड केयर सेंटर बनाए जाएंगे. वहां सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स मीटर, बेड सब कुछ रहेगा. यह सुविधा उन घरों के लिए होगी जहां 5-6 लोग एक साथ रहते हैं और उनके घर में अलग वॉशरूम नहीं है या अलग रुम नहीं है. ऐसे में उनके घर के आस-पास कोविड सेंटर बनाए जाएंगे तो न तो एंबुलेंस बुलानी पड़ेगी न अस्पताल जाना होगा, बल्कि घर के पास सोसायटी के कोविड सेंटर में होम आइसोलेशन के तौर पर रह सकते हैं. इन केंद्रों के पास रहने वाले लोगों को इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि सामान्य रूप से सावधानी रखें, मास्क लगाएं और हैंड सेनिटाइज करते रहें.

महानगरों के बाद अन्य शहरों में पहुंच रहा वायरस:

हांलाकि डॉ. धमीजा कहते हैं कि भारत में केस बढ़ रहें हैं लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो अभी स्थिति अंडर कंट्रोल है. देश में करीब 30 हजार केस प्रतिदिन आ रहे हैं, और 20 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो रहे हैं. प्रति दस लाख जनसंख्या पर देखें तो हमारे देश में दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम केस आ रहे हैं. ये आंकड़े एक तरह से कंट्रोल में हैं. पहले कुछ जगहों पर मामले बहुत बढ़ रहे थे वहां कम हो रहे हैं. सबसे पहले वायरस विदेशों से ट्रैवल करके आया अब लोगों के रिश्तेदारों में पहुंच रहा है. कई जगह तो संक्रमण महानगरों से दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुंच रहा है. यह तभी रुक सकता है, जब सभी लोग सावधानी बरतेंगे.

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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केस सामने आने की एक वजह टेस्टिंग भी है. भारत में दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा टेस्टिंग की जा रही है. जब महामारी शुरू हुई, तब हमारे यहां एक या दो लेबोरेटरी थीं, लेकिन अब हमारे देश 885 सरकारी और करीब 300 निजी प्रयोगशालाएं हैं. देश में कुल ढाई से तीन लाख टेस्ट प्रति दिन किए जा रहे हैं. अभी कई ऐसे इलाके हैं जहां टेस्टिंग को बढ़ाना चाहिए और बढ़ाया भी जाएगा. इससे रिकवरी रेट और बढ़ेगा.

बीमारी से लड़ना है बीमार से नहीं:

रिकवरी रेट देश में लगातार बढ़ रहा है लेकिन फिर भी कई लोग खुद तनाव ले रहे हैं या कोविड से ठीक हुए व्यक्ति के प्रति सामज का व्यवहाक बदल जा रहा है. लोग उसे बार-बार कोरोना का मरीज के तौर पर देख रहे हैं. ऐसे में डॉ धमीजा कहते हैं कि कोरोना एक बीमारी है हमें बीमारी से लड़ना है बीमार से नहीं. जो कोरोना वायरस से ठीक होकर आ रहे हैं, उनका समाज में एक बहुत बड़ा योगदान है. बहुत से लोग प्लाजमा डोनेट करते हैं और दूसरे की जान बचाते हैं. इसलिए जैसे अन्य बीमारी से लोग ठीक होकर आते हैं, उन्हें भी ऐसे ही देखें. हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ भी कई दुर्व्यवहार की खबरे आईं, हांलाकि अब पहले से स्थिति में सुधार आ रहा है. बस इस बात का ध्यान रखना है कि कोविड किसी में भेद-भाव नहीं रखता, एक आम आदमी और गरीब से लेकर बड़े से बड़े लोगों को कोरोना का संक्रमण हुआ है. इसलिए खुद का बचाव करते हुए दूसरों का भी ध्यान रखें.