देश में लॉकडाउन का आज (शुक्रवार) तीसरा दिन है. लेकिन लॉकडाउन से लाखों दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, गरीबों की जिंदगी मुश्किलों से घिर गई है. वहीं कुछ लोग परेशानियों का हल ढूढ़ने में नाकामयाब होने के बाद अपने अपने घरों की तरफ चल पड़े हैं. हालांकि सरकार की तरफ से मुश्किलों का हल खोजेंगे की हर कोशिश की जा रही है. लेकिन उसके बाद भी कई लोगों ने सैकड़ो किलोमीटर की अपनी यात्रा प्रारंभ कर दी है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक मजदूर ने बताया कि वो दिल्ली से उत्तर प्रदेश के बदायूं जा रहा है. दिल्ली में हम दो दिनों से भूखे हैं. पैसे नहीं है और जो बिस्किट की पैकेट 10 रुपये में मिलती थी उसकी कीमत अब 30 रुपये हो गए हैं. जिससे उनका यहां पर रह पाना अब बेहद मुश्किल हो गया है.
वहीं दिल्ली में काम करने आए एक मजदूर मजदूर सद्दाम हुसैन ने बताया कि दो दिन से खाना नहीं मिला है. आनंद विहार से लखीमपुर खीरी 400 किलोमीटर है, 8-10 दिन में पहुंच जाएंगे. बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एक बयान में कहा है कि राज्य की सीमाओं के अंदर जो भी लोग रह रहे हैं उन सब लोगों की ज़िम्मेदारी हमारी है वो झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के हो सकते हैं.
दिल्ली छोड़कर जाते मजदूर:-
Delhi: Migrant labourers have started leaving for their hometown in neighbouring states. A labourer says "We're going to Badaun(UP) from Okhla. We're hungry from 2 days. Biscuit pack which used to cost Rs 10 now costs Rs 30. We've no money. We'll die either of hunger or #COVID19" pic.twitter.com/9SY2iD5Tc4
— ANI (@ANI) March 27, 2020
दो दिनों से थे भूखे:-
दिल्ली: दूसरे शहरों से दिल्ली में काम करने आए मजदूर पैदल ही अपने गांव जाने को मजबूर हैं। एक मजदूर सद्दाम हुसैन ने बताया कि दो दिन से खाना नहीं मिला है। आनंद विहार से लखीमपुर खीरी 400 किलोमीटर है, 8-10 दिन में पहुंच जाएंगे। #coronavirus pic.twitter.com/mBPEqxDccw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 27, 2020
सीएम केजरीवाल ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा है कि अब तक हम 224 रैन बसेरों में 20,000 लोगों को खाना खिला रहे थे. आज से हम 325 स्कूलों के अंदर लंच और डिनर दोनों देंगे और रैन बसेरों में भी खाना बढ़ाएंगे. आज से हम 2 लाख लोगों को खाना खिलाएंगे और कल से हम 4 लाख लोगों को खाना खिलाएंगे. लेकिन वहीं कई लोग ऐसे हैं पेट न भरने और बिस्तर न मिल पाने के कारण सैकड़ो किलोमीटर अपने कदमो के लांघने निकल गए हैं.