कोरोना वायरस (Coronavirus) को दुनिया में आए 8 महीने से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन इससे जुड़ी कई नई बातें सामने आ रही हैं. एक के बाद एक नए लक्षण के बाद अब इसके हवा में फैलने को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है.हांलाकि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने वैज्ञानिकों के इस तरह के दावे पर फिर से रिव्यू करने का फैसला किया है. इस बारे में भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ क्या कहते हैं इस पर सफ़दरजंग अस्पताल की डॉ. गीता कमपानी (Dr. Geeta Kampani) से विशेष बातचीत की साथ ही उन्होंने कोविड से जुड़े कई सवालों के भी जवाब दिए.
क्या कोरोना वायरस हवा में फैलता है?
अभी तक माना गया था कि यह एक दूसरे के संपर्क में आने पर खांसने या छींकने से सामने वाले तक वायरस पहुंच जाता है और संक्रमित कर देता है. इसके अलावा उसके ड्रॉपलेट अगर कहीं सरफेस पर गिर जाते हैं, उस पर अगर किसी का हाथ चला गया तो संक्रमण हो सकता है. इसलिए इसे डायरेक्ट संपर्क में आने पर संक्रमण मानते थे. लेकिन अब कहा जा रहा है कि वायरस ड्रॉपलेट के रूप में कई घंटे हवा में रह सकता है. ऐसे भीड़-भीड़ वाली जगहों और जहां वेंटिलेशन नहीं हो रहा है वहां संभावना ज्यादा है. इसलिए ऐसी जगह पर न जाएं। हांलाकि डब्ल्यूएचओ अभी इस पर शोध कर रहा है. यह भी पढ़े: वैज्ञानिक कोरोना वायरस के प्रसार का आकलन करने के लिए अपशिष्ट जल की जांच की ओर मुड़े
कोविड 19 की मौजूदा स्थिति को कैसे देखती हैं?
हमारे देश में जितने लोग संक्रमित हो रहे हैं उनमें ज्यादातर लोग बहुत जल्दी ठीक हो रहे हैं। इनकी संख्या 80 प्रतिशत के करीब है. इसके अलावा 20 प्रतिशत के करीब लोगों को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ रही है. केस बढ़ रहे हैं क्योंकि अनलॉक हो चुका है और लोग नियमों की अनदेखी करने लगे हैं। इसलिए वायरस का संक्रमण अब कम्यूनिटी लेवल पर फैलने लगा है और अब जब टेस्टिंग बढ़ाई गई है तो केस सामने आ रहे हैं.
रैपिड टेस्ट से कितना फायदा मिल रहा है?
पहले केवल आर-टीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा था। इसमें कम सैंपल टेस्ट हो पाते हैं और इसके लिए लैब होना जरूरी है. लेकिन अभी जो रैपिड एंटीजन टेस्टिंग हो रहा है, उससे एक दिन में बहुत ज्यादा टेस्ट किए जा सकते हैं।. एसिम्प्टोमेटिक केस भी इसमें सामने आ रहे हैं, जो बिना लक्षण के हैं और इससे कॉन्टेक्ट का भी पता लगाया जा रहा है ताकि उन्हें आइसोलेट कर कंटेनमेंट किया जा सके.
होम आइसोलेशन की क्या गाइडलाइन है?
अगर किसी को कम लक्षण हैं तो उस मरीज को होम आइसोलेशन में रखा जाता है। इसमें केवल 10 दिन के लिए आइसोलेट किया जाता है। अगर इस बीच उसे लक्षण नहीं आए या लक्षण नहीं बढ़े तो अगले 7 दिन वो घर में ऑब्जरवेशन मे रहेगा। यानी परिवार के साथ रह सकता है, लेकिन सभी को मास्क लगा कर रखना है. इस बीच मरीज को घर से बाहर नहीं जाना है. ये ऑब्जरवेशन पीरियड है. इसके बाद वह कोई भी काम करने के लिए ठीक है और ऑफिस आदि भी जा सकता है. लेकिन जिस कमरे में मरीज रहा है उसके सभी सामान के साथ दरवाजे, खिड़की के हैंडल आदि को अच्छे से सेनिटाइज करना है.
क्या लगातार मास्क लगाने से कार्बन डाइऑक्साइड जमा हो जाती है?
बाहर जाएं तो मास्क लगा कर जाएं. लेकिन अगर साइकिलिंग कर रहे हैं या रनिंग या फिजिकल वर्क करते हैं, तो थोड़ी देर के लिए मास्क नीचे करके ताजी हवा ले सकते हैं। लेकिन ऐसा तभी करें जब आस-पास कोई नहीं हो। हालांकि ऐसा नहीं है कि मास्क लगाने से कार्बन डाइऑक्साइड जमा हो जाती है और उसे ही लोग वापस लेते हैं. अस्पताल में डॉक्टर भी तो कई घंटे तक मास्क लगा कर रखते हैं.
कई लोग मास्क लगाते हैं तो उन्हें घुटन होने लगती है, ऐसे में क्या करें?
कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला हुआ है, अभी ये कितने दिन रहेगा यह किसी को नहीं पता.इसलिए अब वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी और मास्क लगाने की आदत डालनी होगी। ये हाइजीनिक (hygienic) भी है और व्यक्ति के साथ-साथ दूसरों की सुरक्षा से जुड़ा है.अगर कोई हमेशा लगाएगा तो आदत हो जाएगी और घुटन नहीं होगी.
टेलीमेडिसिन या टेलीकंसल्टेशन कितना महत्वपूर्ण है?
टेलीमेडिसिन इस वक्त काफी जरूरी है, क्योंकि कोरोना का संक्रमण एक दूसरे से संपर्क में आने से हो सकता है. ऐसे में मरीज-डॉक्टर डायरेक्ट कॉन्टेक्ट में आएंगे तो पता नहीं कौन किसके संपर्क में आ जाए.इससे सुरक्षा का स्तर बढ़ जाता है और घर बैठे डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं.लेकिन टेलिमेडिसीन सभी बीमारियों के लिए नहीं है। बीमारी गंभीर हो तो मरीज को अस्पताल आना पड़ता है. उनके लिए अस्पतालों में व्यवस्था की गई है.हालांकि इलाज से पहले आने वाले मरीजों का रैपिड टेस्टिंग किट से टेस्ट कर लिया जाता है.