Compensation if Covaxin Causes Serious Adverse Effect: कोवैक्सीन के बुरे प्रभाव पर मिलेगा मुआवजा, यहां पढ़ें भारत बायोटेक का कंसेंट फॉर्म
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Bharat Biotech)

भारत बायोटेक के कोवैक्सीन प्राप्त करने वाले लोगों पर वैक्सीन का बुरा प्रभाव पड़ने पर मुआवजा दिया जाएगा. शुक्रवार को टीकाकरण केंद्र पर शेयर किए गए सहमति फॉर्म के शीर्ष पर हाइलाइट किए गए पॉइंट्स में मुआवजे के बारे में लिखा हुआ था. 6 मुंबई केंद्र सरकार के अस्पतालों में कोवैक्सीन टीकाकरण किया जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सहमति फॉर्म में कहा गया है कि लाभार्थियों को वैक्सीन के कारण किसी भी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले में सरकार द्वारा नामित और अधिकृत अस्पतालों में देखभाल प्रदान की जाएगी.

लायबीलिटी का मुद्दा टीका निर्माताओं और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा रहा है, टीका निर्माताओं ने किसी भी दुर्घटना के खिलाफ क्षतिपूर्ति की मांग की है. हालांकि, सरकार के पर्चेज ऑर्डर ने कहा कि कंपनी को किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए उत्तरदायी होना चाहिए. महाराष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि आज होने वाले टिकाकरण से पता चलेगा कि क्या तीन पन्नों की सहमति फॉर्म चिंता पैदा करेगी या नहीं? महाराष्ट्र कोवैक्सीन को स्वीकार करने वाले 11 राज्यों में से है, जो स्टेज- 3 ट्रायल के अंडर है. जिसका कोई बड़ी प्रभावकारिता डेटा नहीं है. यह भी पढ़ें: भारत बायोटेक की घोषणा, ब्राजील में कोवैक्सिन की आपूर्ति के लिए Precisa Medicamentos के साथ हुआ समझौता

वैक्सीन के लाभार्थियों को कोविशिल्ड प्राप्त करने के विपरीत एक सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा क्योंकि इसे आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है.  रिपोर्टों के अनुसार, वैक्सीन प्राप्त करने वाले को फैक्ट शीट और एक प्रतिकूल प्रभाव रिपोर्टिंग फॉर्म भी दिया जाएगा जहां उन्हें पहले सात दिनों के भीतर लक्षणों को नोट करना पड़ेगा. सहमति फॉर्म में कहा गया है कि वैक्सीन ने चरण 1 और चरण 2 क्लिनिकल ट्रायल में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि, कोवैक्सीन की नैदानिक प्रभावकारिता अभी स्थापित नहीं है और इसका स्टेज 3 क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है."

इससे पहले भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ट्रायल पूरा होने के बाद भारत अपने टीके पर अंतरिम प्रभावकारी डेटा की उम्मीद कर सकता है. "डेटा अपने चरण पर है. चरण III के परीक्षण चल रहे हैं. इस तरह के परीक्षण में 26,000 स्वयंसेवकों की एक बड़ी संख्या है, ऐसा कभी नहीं हुआ है. लेकिन इसके लिए अब तक एक भी प्रशंसा नहीं मिली है. प्रभावकारिता को पकड़ना आसान नहीं है. लेकिन हाई डिसीज का बोझ होने पर प्रभावकारिता कैप्चर किया जा सकता है. डॉ. एला ने कहा. यह भी पढ़ें: कोवैक्सीन यूके स्ट्रेन के खिलाफ कर रही काम: भारत बायोटेक

भारतीय वैज्ञानिकों को टार्गेट करना आसान है. मुझे यह बताना पड़ा क्योंकि किसी अन्य कंपनी ने मेरे उत्पाद को 'पानी की तरह सुरक्षित' के रूप में ब्रांड किया है. कुछ स्थानीय कंपनी ने कल प्रेस में कहा कि सुरक्षा अन्य कंपनियों के लिए पानी की तरह है. केवल तीन कंपनियों ने प्रभावकारिता दिखाई है और अन्य वैक्सीन पानी की तरह है. मैं इस बात से इनकार करना चाहता हूं. यह हमें वैज्ञानिकों के रूप में आहत करता है; हम 24 घंटे काम करते हैं और इस प्रकार के कमेंट्स डिजर्व नहीं करते हैं, "उन्होंने टीके की प्रभावशीलता पर सवाल का जवाब दिया.