
नई दिल्ली: चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर बांध के निर्माण को लेकर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu) ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. उनका मानना है कि यह परियोजना केवल जल सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पारिस्थितिकी और लाखों लोगों की आजीविका के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. खांडू ने स्पष्ट किया कि चीन इस बांध का इस्तेमाल 'वॉटर बॉम्ब' के रूप में कर सकता है, जिससे भारत और पड़ोसी देशों को विनाशकारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.
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यारलुंग त्सांगपो नदी तिब्बत से निकलती है और अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने के बाद सियांग के रूप में जानी जाती है. असम में यह ब्रह्मपुत्र बनकर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करती है. इस नदी का महत्व केवल इसके जल प्रवाह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों की कृषि, पीने के पानी और आजीविका का स्रोत भी है.
चीन के हाथ में आ जाएगी शक्ति
चीन द्वारा इसी नदी पर विशाल जलविद्युत परियोजना बनाई जा रही है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट कहा जा रहा है. पेमा खांडू ने चेतावनी दी है कि इस परियोजना से नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने की शक्ति चीन के हाथ में आ जाएगी.
वॉटर बॉम्ब का खतरा
मुख्यमंत्री खांडू ने कहा कि चीन द्वारा बांध के निर्माण से मानसून के दौरान अचानक पानी छोड़े जाने से बाढ़ की समस्या गंभीर हो सकती है. लाखों लोगों का विस्थापन हो सकता है. फसलें बर्बाद हो सकती हैं, जिससे खाद्य संकट बढ़ेगा. बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हो सकता है.
वहीं, सर्दियों में पानी के प्रवाह को रोकने से ब्रह्मपुत्र और सियांग नदियों में जल स्तर इतना गिर सकता है कि बड़े हिस्सों में सूखा पड़ सकता है. इसके कारण अरुणाचल और असम में जनजीवन और कृषि पर भयंकर प्रभाव पड़ेगा.
बांध के निर्माण से नदी के प्रवाह में कमी आ सकती है. इससे नदी किनारे की उपजाऊ भूमि बंजर बन सकती है, जो असम और अरुणाचल की कृषि पर गहरा असर डालेगी.
तिब्बत की नदियों पर चीन का नियंत्रण
पेमा खांडू ने इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत को 'एशिया का जल मीनार' कहा जाता है, क्योंकि यहां से भारत सहित कई देशों की प्रमुख नदियां निकलती हैं. तिब्बती पठार से निकली नदियां एक अरब से ज्यादा लोगों को पानी की आपूर्ति करती हैं.
चीन द्वारा तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन न केवल नदी प्रणालियों के अस्तित्व को खतरे में डालता है, बल्कि भारत और पड़ोसी देशों के जल संसाधनों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है.
भारत सरकार से अपील
अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से अपील की है कि चीन की इस परियोजना के संभावित खतरों का वैश्विक स्तर पर मुद्दा उठाया जाए. उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस खतरे के प्रति जागरूक करना चाहिए.
चीन की 'डैम डिप्लोमैसी'
चीन द्वारा नदियों पर बड़े बांधों का निर्माण केवल हाइड्रोपावर उत्पादन तक सीमित नहीं है. इसे 'डैम डिप्लोमैसी' कहा जा सकता है, जहां वह नदियों के पानी को नियंत्रण में रखकर पड़ोसी देशों पर रणनीतिक दबाव बना सकता है.