नई दिल्ली: भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा के पास स्थित पैंगोंग झील के तट पर 14,300 फीट की ऊंचाई पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा स्थापित की है. यह क्षेत्र वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट है. लेह स्थित सेना की 14 कोर, जिसे 'फायर एंड फ्यूरी कोर' के नाम से जाना जाता है, ने इस प्रतिमा का अनावरण करते हुए इसे शिवाजी महाराज की अडिग भावना और उनकी प्रेरणादायक विरासत को समर्पित बताया.
गुरुवार को इस प्रतिमा का उद्घाटन 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला द्वारा किया गया. सेना ने इस अवसर को "शौर्य, दृष्टि और न्याय के प्रतीक" के रूप में मनाया. सेना ने बताया, "यह आयोजन भारतीय शासक की अडिग भावना का जश्न मनाता है, जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है."
सेना का प्रयास
भारतीय सेना प्राचीन भारतीय रणनीतिक सोच को आधुनिक सैन्य क्षेत्र में शामिल करने के प्रयास कर रही है. छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारतीय सेना के इन प्रयासों को भी दर्शाता है.
SHRI CHHATRAPATI SHIVAJI MAHARAJ STATUE AT PANGONG TSO, LADAKH
On 26 Dec 2024, a majestic statue of Shri Chhatrapati Shivaji Maharaj was inaugurated on the banks of Pangong Tso at an altitude of 14,300 feet.
The towering symbol of valour, vision and unwavering justice was… pic.twitter.com/PWTVE7ndGX
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) December 28, 2024
भारत-चीन तनाव
यह अनावरण ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन ने अक्टूबर 2023 में डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो विवादित बिंदुओं से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की है. यह कदम दोनों देशों के बीच मई 2020 से चले आ रहे सीमा तनाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण रहा.
SHRI CHHATRAPATI SHIVAJI MAHARAJ STATUE AT PANGONG TSO, LADAKH
On 26 Dec 2024, a majestic statue of Shri Chhatrapati Shivaji Maharaj was inaugurated on the banks of Pangong Tso at an altitude of 14,300 feet.
The towering symbol of valour, vision and unwavering justice was… pic.twitter.com/PWTVE7ndGX
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) December 28, 2024
पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद की शुरुआत मई 2020 में पैंगोंग झील क्षेत्र में हुई एक हिंसक झड़प के बाद हुई थी. इसके बाद कई सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद 2021 में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की गई.
प्रेरणा का प्रतीक
छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा, भारतीय सेना की साहस और अदम्य भावना का प्रतीक है. यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को दर्शाती है, बल्कि शिवाजी महाराज के अद्वितीय नेतृत्व और उनके प्रेरणादायक व्यक्तित्व को भी उजागर करती है.
इस स्थापना से यह संदेश दिया गया है कि भारत अपनी प्राचीन विरासत को आधुनिक समय की चुनौतियों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है.