बेंगलुरु, 10 जून: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने व्यावसायिक समझौते को लेकर एक व्यवसायी द्वारा अन्य साझेदारों पर दायर आपराधिक शिकायत इसलिए खारिज कर दी क्योंकि यह स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण थी. अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से मामला दायर किया जाना आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग था.
अदालत ने अपने निर्णय में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि "जहां एक आपराधिक मुकदमा स्पष्ट रूप से दुर्भावना से प्रेरित हो और/या जहां दुर्भावनापूर्ण तरीके से अभियुक्त से प्रतिशोध लेने के लिए एक कुत्सित उद्देश्य के साथ और निजी एवं व्यक्तिगत द्वेष से किसी को भी परेशान करने के लिए ऐसा किया जाता हो’’ तो अदालतें आपराधिक मुकदमे को रद्द कर सकती हैं. HC on False Case Of Sexual Assault: कोई भी महिला किसी निर्दोष व्यक्ति को झूठे यौन उत्पीड़न के केस में नहीं फंसा सकती है- इलाहाबाद हाई कोर्ट
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने हैदराबाद निवासी एन. श्रीधर राव, एन.लक्ष्मण राव और कोटारू राज्यलक्ष्मी के खिलाफ शिकायत खारिज कर दी. शिकायतकर्ता चिन्नम श्रीनिवास मैसुरु का रहने वाला है. श्रीधर राव और श्रीनिवास का व्यापारिक समझौता था. बाद में भूमि मालिकों- लक्ष्मण राव और राज्यलक्ष्मी को पांच मंजिलों के एक वाणिज्यिक परिसर के निर्माण के उद्देश्य से समझौते में शामिल था.
उच्च न्यायालय ने शिकायत खारिज करते हुए कहा कि चारों के बीच समझौता सहमति पर आधारित था और इसके लिए धोखाधड़ी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
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