बिहार के उप मुख्यमंत्री का आर्थिक मंदी पर अजीब बयान, कहा- हर साल सावन भादो के महीने में मंदी होती है
सुशील कुमार मोदी (Photo Credits : IANS)

देश की आर्थिक स्थिति पर जहां विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रही है. वहीं बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) का अजीबोगरीब बयान आया है. सुशील मोदी ने कहा है कि सावन-भादो के महीने में मंदी तो रहती ही है. उन्हने कहा कि इस बार इसका शोर इसलिए मचाया जा रहा है कि चुनाव में मिली हार की खीझ उतर सके. बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर लगातार पांचवी तिमाही में कम होकर 5 प्रतिशत रह गई. यह पिछले छह साल से अधिक समय में सबसे कम वृद्धि दर रही है. वहीं उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारों में एक बार से गहमागहमी तेज हो गई है. विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रही है.

सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा, केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किये हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा. वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार.......

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की थी और देश में अर्थव्यवस्था की मंदी के लिए उसकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। मनमोहन सिंह ने कहा था, भारत में बहुत तेज दर से विकास करने की क्षमता है, लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन का परिणाम मंदी है. मनमोहन सिंह एक जाने-माने अर्थशास्त्री हैं. मनमोहन सिंह ने मंदी को एक मानव निर्मित संकट बताया. एक विस्तृत बयान में उन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले और अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालत के लिए 'जल्दीबाजी में लागू किए गए जीएसटी' के फैसले को जिम्मेदार ठहराया.

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प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर कसा तंज

गौरतलब हो कि कांग्रेस ने जीडीपी में तेज गिरावट को लेकर भाजपा सरकार पर शनिवार को निशाना साधा था. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने मांग की कि केंद्र स्पष्ट करे कि अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का जिम्मेदार कौन है? उन्होंने कहा कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है. उन्होंने ट्वीट किया, जीडीपी विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है. न जीडीपी ग्रोथ है, न रुपये की मजबूती. रोजगार गायब हैं. अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?