Bhagat Singh 114th Jayanti 2021: क्यों नहीं फांसी पर चढ़ना चाहते थे भगत सिंह? जानें इस युवा क्रांतिकारी के जीवन के ऐसे कई रोचक प्रसंग!
भगत सिंह (Photo Credits: Wikimedia commons)

Bhagat Singh 114th Jayanti 2021: भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को लायलपुर (अब पाकिस्तान में) स्थित बंगा गांव में हुआ था. जिस दिन माँ विद्यावती की कोख से भगत सिंह ने जन्म लिया था, उसी दिन उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह जेल से छूटे थे. उनके दादा अर्जुन सिंह भी ‘गदर पार्टी’ के अभिन्न हिस्सा थे, ऐसे में कहा जा सकता है कि भगत सिंह को देश-भक्ति विरासत में मिली थी. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला नरसंहार से भगत सिंह इतने व्यथित हुए कि वह कॉलेज छोड़ आजादी की जंग में कूद पड़े. उनके हिंसक आंदोलनों ने ब्रिटिशों की नींद उड़ा दी थी. अंततः 23 वर्ष की उम्र में असेंबली में बम फेंकने के आरोप में 23 मार्च, 1931 को उनके क्रांतिकारी साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ उन्हें भी फांसी पर लटका दिया गया. भगत सिंह की 114वीं वर्षगांठ पर प्रस्तुत हैं सरदार भगत सिंह के जीवन के रोचक पहलू. यह भी पढ़े: Bhagat Singh 113th Birth Anniversary: आज देश मना रहा है महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह की 113वीं वर्षगांठ!

* उन दिनों 12-14 साल के भीतर शादियां हो जाती थीं. भगत सिंह की माँ ने जब उन्हें शादी कर दुल्हन लाने की बात की तो भगत सिंह कानपुर चले गये. उन्होंने अपने माता-पिता से कहा कि गुलाम भारत में मेरी दुल्हन बनने का अधिकार केवल मेरी मौत को है. इसके बाद वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन (HSRA) में शामिल हो गये.

* कम लोग जानते हैं कि भगत सिंह के चाचा ने किसानों से वसूले जाने वाले लगान को हटाने के लिए ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ आंदोलन चलाया था. जो काफी लोकप्रिय हुआ था.

* एक बार भगत सिंह जेल में कैद थे. उन्होंने विदेशी मूल के कैदियों की बेहतर इलाज की नीति के खिलाफ आवाज उठायी, जब उनकी बात नहीं सुनी गई तब वे भूख हड़ताल पर बैठ गये. अंततः अंग्रेज सरकार को उनकी मांग माननी पड़ी.

* सरदार भगत सिंह फांसी की माफी नहीं चाहते थे, मगर वे फांसी पर झूलना भी नहीं चाहते थे. उनकी ख्वाहिश थी कि चूंकि वे आजादी के सिपाही हैं, इसलिए उन्हें सैनिकों जैसी शहादत देते हुए गोली मार दी जाये. अपनी यह ख्वाहिश भगत सिंह ने 20 मार्च 1931 के पंजाब के तत्कालीन गवर्नर को एक पत्र में लिख कर जाहिर किया था.

* भगत सिंह किसान के बेटे थे, साथ ही उनके पिताजी और चाचा क्रांतिकारी भी थे. एक बार फसल काटते समय बाल भगत सिंह ने अपने पिताजी से कहा था कि क्यों ना हम खेत में बंदूक उगायें.

* 13 अप्रैल 1919 को हुए जालियांवाला कांड के समय भगत सिंह मात्र 12 वर्ष के थे. स्कूल जाते समय जब उन्हें इस बात की खबर मिली तो वे स्कूल ना जाकर जालियांवाला बाग चले गये. गौरतलब है कि स्कूल से जालियांवाला बाग की लगभग 12 मील थी, जिसे उन्होंने पैदल चलकर पूरी की.

* भगत सिंह बहुत अच्छे अभिनेता भी थे, स्कूल के दिनों में उन्होंने राणा प्रताप सिंह, सम्राट चंद्रगुप्त और कई महान विभूतियों पर आधारित नाटकों में भी हिस्सा लिया था.

* भगत सिंह को जब फांसी की सजा सुनाई गई तो वे मात्र 23 वर्ष के थे. उनकी कम उम्र और संपूर्ण भारत में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कोई भी मजिस्ट्रेट फांसी स्थल पर जाने के लिए तैयार नहीं था. अंतत एक मानद न्यायाधीश को बुलवाकर उसका हस्ताक्षर लेने के बाद उसी की कस्टडी में भगत सिंह को फांसी दिया गया.

* यह युवा क्रांतिकारी गांधी जी का अनन्य भक्त था, लेकिन 1922 में चौरी-चौरा काण्ड के कारण गांधीजी ने जब असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तो गांधीजी के इस फैसले का भगत सिंह ने पुरजोर विरोध किया और कांग्रेस छोड़ युवा क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो गये.

* भगत सिंह के मन में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति जबरदस्त नफरत एवं घृणा भरी थी. यह बात अंग्रेज सरकार भी जानती थी, इसलिए कहीं भी बम विस्फोट होता तो अंग्रेज सरकार भगत सिंह पर झूठा आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लेती थी.

* ब्रिटिश कोर्ट में जब भगत सिंह के खिलाफ मुकदमा चला तो उन्होंने अदालत द्वारा वकील मुहैया कराने की पेशकश को सिरे से ठुकरा दिया.