Lizard Smuggling: असम में 11 दुर्लभ छिपकलियां बरामद, 1 की कीमत एक लाख रुपये, 3 तस्कर गिरफ्तार

गुवाहाटी: असम के डिब्रूगढ़ जिले में पुलिस ने शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 दुर्लभ टोकाय गेको (Tokay Gecko) प्रजाति की छिपकलियां बरामद की हैं और तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है. इन छिपकलियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी मांग है, लेकिन भारत में इनका निर्यात पूरी तरह से प्रतिबंधित है क्योंकि इन्हें वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत अति संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया गया है. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम सात साल की सख्त कैद हो सकती है.

असम और अरुणाचल में सीमित संख्या में पाई जाती है यह प्रजाति

टोकाय गेको छिपकलियां भारत में केवल असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ चुनिंदा इलाकों में ही पाई जाती हैं. इसके बावजूद दक्षिण-पूर्व एशिया के ग्रे मार्केट में इनकी भारी मांग है, जिससे इनके अवैध व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान

गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान देबाशीष डोहुटिया (34), मनाश डोहुटिया (28) और दीपांकर घरफलिया (40) के रूप में हुई है.

विशेष टास्क फोर्स ने बिछाया था जाल

पुलिस को टोकाय गेको की तस्करी की गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और डिब्रूगढ़ पुलिस की संयुक्त टीम ने मोहनबाड़ी इलाके में जाल बिछाया. इस अभियान में वाइल्डलाइफ जस्टिस कमीशन, साउथ एशिया ऑफिस का भी सहयोग रहा.

पुलिस ने बताया कि तीनों संदिग्ध तस्कर मोहनबाड़ी टिनियाली स्थित 'सन फिस्ट ढाबा' में मिले. इनमें से दो सफेद कार (AS-23W-5506) से और एक मोटरसाइकिल (AS-06AF-0276) से आया था. कुछ देर बाद कार चालक ढाबे से बाहर निकला और कार से एक लाल रंग का बैकपैक लेकर वापस ढाबे में गया. तभी STF टीम ने छापेमारी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया.

अरुणाचल से लाकर बेचने की थी योजना

पूछताछ में तस्करों ने बताया कि उन्होंने इन छिपकलियों को अरुणाचल प्रदेश से इकट्ठा किया था और प्रत्येक को 1 लाख रुपये में बेचने की योजना बनाई थी.

वन्यजीवों की तस्करी एक गंभीर अपराध है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है बल्कि दुर्लभ प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर ला देता है. पुलिस और वन्यजीव संरक्षण एजेंसियों की तत्परता से एक बार फिर एक बड़ी तस्करी को रोका गया है.