हरियाणा के गुड़गांव (गुरुग्राम) में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए एक अनोखा कदम उठाया गया है. हाल ही में, सेक्टर 82 स्थित डीएलएफ प्राइमस में कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का प्रयोग किया गया. यह प्रयास वायु प्रदूषण को कम करने और शहर की हवा को साफ़ करने के उद्देश्य से किया गया था.
कृत्रिम वर्षा का क्या है उद्देश्य?
कृत्रिम वर्षा का उद्देश्य बादलों से बारिश पैदा करना है, जिससे प्रदूषण में सुधार हो सके. इस तकनीक में सिल्वर आयोडाइड या नमक जैसे तत्वों का उपयोग किया जाता है, जो बादलों में मिलकर वर्षा के कणों को उत्पन्न करते हैं और इससे बारिश होती है. इस तकनीक को वायुमंडलीय इंजीनियरिंग कहा जाता है, और यह विशेष रूप से वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकती है.
देखें वीडियो-
#WATCH | Artificial rain done in #DLFPrimus, Sector 82 #Gurugram to control air pollution.#Haryana #AirPollution #ArtificialRain
(📽️: ANI) pic.twitter.com/MAsmrvK6uT
— Hindustan Times (@htTweets) November 7, 2024
क्या था परिणाम?
डीएलएफ प्राइमस में किए गए इस प्रयोग से यह उम्मीद जताई जा रही है कि शहर में प्रदूषण का स्तर कम होगा और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा. ये प्रयास खासकर उन इलाकों में किए जा रहे हैं जहां प्रदूषण की समस्या अधिक गहरी है और जलवायु में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. इस प्रयोग के दौरान, इलाके के लोगों को साफ हवा मिलती है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
भविष्य में कैसे हो सकता है लाभ?
अगर इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो यह अन्य शहरों और क्षेत्रों में भी प्रदूषण नियंत्रण में मदद कर सकता है. इससे न केवल वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण की स्थिति भी बेहतर हो सकती है.