Delhi Pollution: दिवाली से पहले ही दमघोंटू हुई हवा, हरकत में आई केजरीवाल सरकार ले सकती है बड़े फैसले
Delhi Pollution | PTI

नई दिल्ली: ठंड की शुरुआत के साथ ही दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद समेत एनसीआर के इलाकों में हवा खराब होने लगी है. दिल्ली NCR में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की जा रही है. सोमवार को भी दिल्ली-एनसीआर में चारों तरफ धुंध की चादर छाई रही. धुंध की वजह से विजिबिलिटी भी काफी गिर गई. दिल्ली में तेजी से बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच सोमवार सुबह धुंध की परत छाने के बाद पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण शमन उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए आज एक बैठक बुलाई है. Delhi Air Quality: दिल्ली में हवा की गुणवत्‍ता 'बहुत खराब', आगे और खराब होने की आशंका.

राजधानी का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शनिवार के 248 के मुकाबले और अधिक खराब होकर रविवार को 313 पर पहुंच गया. दिल्ली में पिछली बार 17 मई को वायु गुणवत्ता "अत्यंत खराब" दर्ज की गई थी जब एक्यूआई 336 था.

बिगड़ने लगी हवा की सेहत

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, रविवार को फरीदाबाद में 24 घंटे का औसत एक्यूआई 322, गाजियाबाद में 246, ग्रेटर नोएडा में 354, गुरुग्राम में 255 और नोएडा में 304 दर्ज किया गया.

अधिकारियों ने कहा कि संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ राय की बैठक में राहत उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तापमान में गिरावट और पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन के कारण दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता अगले कुछ दिनों तक "अत्यंत खराब" रहेगी.

अधिकारियों के अनुसार, हवा की गति धीमी है और पिछले दो वर्षों के विपरीत अक्टूबर में कम बारिश हुई है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की ‘निर्णय समर्थन प्रणाली’ (डीएसएस) का अनुमान है कि सोमवार से धान की पराली जलाने में बढ़ोतरी हो सकती है.

प्रणाली के मुताबिक, रविवार को दिल्ली में पीएम2.5 प्रदूषण में धान की पराली जलाने से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 16 फीसदी थी और सोमवार को यह बढ़कर 30-32 फीसदी हो सकती है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली में पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं की अधिकतम हिस्सेदारी पिछले साल 3 नवंबर को 34 प्रतिशत और 2021 में 7 नवंबर को 48 प्रतिशत थी.