Mumbai Shocker: महिला को 8 दिनों से हो रही थी उल्टियां, हॉस्पिटल जाने पर परिजन हो गए शॉक, डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके निकाली 10 किलो की गांठ
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मुंबई, महाराष्ट्र:मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट इलाके में रहने वाली 40 वर्षीय मीन सोलंकी के पेट में पिछले कई महीनों से एक गांठ लगातार बढ़ रही थी. शुरू में मामूली लग रही यह समस्या बाद में गंभीर रूप ले चुकी थी और उनके लिवर, फेफड़ों, हृदय और आंतों जैसे अहम अंगों पर दबाव डाल रही थी.डॉक्टरों के अनुसार, यह गांठ कभी भी फट सकती थी और उनकी जान जा सकती थी. मीन सोलंकी को करीब डेढ़ साल पहले पेट पर टेबल का कोना लगने से हल्की चोट आई थी.

इसके बाद से उन्हें पेट में लगातार दर्द रहने लगा. शुरुआत में दवाओं से थोड़ी राहत मिली, लेकिन धीरे-धीरे पेट का आकार बढ़ने लगा और दर्द असहनीय होता गया.ये भी पढ़े:Akola Shocker: महिला के गर्भाशय से निकाला 16 किलो का ट्यूमर, दो घंटे तक चला ऑपरेशन, अकोला में मरीज की बची जान

खाना खाना भी हो गया मुश्किल

मई महीने में मीन की हालत और बिगड़ गई. उन्हें खाना पचाना मुश्किल हो गया. हालत इतनी खराब हो गई कि लगातार 8 दिनों तक उल्टियां होती रहीं, और कमजोरी इतनी बढ़ गई कि वे बिस्तर से उठ भी नहीं पा रही थीं. साथ ही, मासिक धर्म के दौरान भी उन्हें अत्यधिक तकलीफ होने लगी थी.

सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में पहुंचीं तो सामने आया खतरा

परिवार ने जब मीन को मुंबई के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल में भर्ती कराया, तो जांच में पता चला कि उनके पेट में 10.4 किलो की एक बड़ी गांठ है जो कई आंतरिक अंगों से चिपकी हुई है. डॉक्टरों ने बताया कि यह गांठ फटने की स्थिति में जानलेवा हो सकती थी.

डॉक्टरों ने बचाई जान

इस जटिल ऑपरेशन का नेतृत्व हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. राजश्री कटके ने किया. उनके साथ ऑन्कोसर्जन डॉ. कोरेश, डॉ. शुभांगी, और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. पौर्णिमा सोनकांबळे व डॉ. रूचि की टीम ने मिलकर ऑपरेशन किया.चार घंटे की मेहनत के बाद डॉक्टरों ने 10.4 किलो की गांठ को सफलतापूर्वक बाहर निकाला.

ऑपरेशन से पहले हुआ मानसिक काउंसलिंग

डॉ. कटके ने बताया कि मीन शुरुआत में सर्जरी के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थीं. इसलिए पहले परिवार और मीन का समुचित काउंसलिंग किया गया और फिर यह सर्जरी की गई.

मीन के भाई रमेश सोलंकी ने भावुक होते हुए कहा,'डॉक्टर हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं. हमें लगा था कि हम बहन को खो देंगे, लेकिन उन्होंने उसे नया जीवन दे दिया.सर्जरी के बाद मरीज को दो दिन आईसीयू में रखा गया, और अब उनकी सेहत स्थिर है.डॉक्टरों की निगरानी में उन्हें विशेष डाइट दी जा रही है और कुछ ही हफ्तों में वे पूरी तरह स्वस्थ हो सकती हैं.