जयपुर: जब जान बचाने की बात आती है, तो गुर्दे के रोगियों के परिवार सभी सीमाएं पार कर जाते हैं. छह परिवारों ने अपने प्रियजनों को बचाने के लिए ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की अदला-बदली की. सभी छह परिवारों के पास दानदाता तो हैं, लेकिन उन्हें अपने रिश्तेदारों के लिए उपयुक्त दानदाता नहीं मिल सके. ऐसे में सभी परिवारों ने एक-दूसरे की किडनी बदलने का फैसला किया.
बहरोड़ निवासी निशांत का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है, जबकि उनकी डोनर मां ललिता देवी का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव था. उन्हें अपने बेटे के लिए उपयुक्त डोनर नहीं मिला. मैनपुरी (यूपी) की सरिता देवी ने निशांत को अपनी किडनी दी. 154 Stones in Kidney: मरीज के गुर्दे से निकाली गई 154 पथरी, हैदराबाद के AINU में हुआ ऑपरेशन
सरिता देवी को उनके पति दिनेश यादव के लिए उपयुक्त डोनर नहीं मिला, क्योंकि उनका ब्लड ग्रुप मेल नहीं खा रहा था. डीडवाना की स्वरूप कंवर ने अपनी किडनी यादव को दी थी. कंवर के बेटे महिपाल सिंह को श्रीगंगानगर के गौरी शंकर से किडनी मिली. शंकर की पत्नी रजनी शर्मा, झुंझुनू की मुन्नी देवी से किडनी प्राप्त की. देवी की बेटी प्रीति सोनी को जयपुर निवासी रमेश चंद से किडनी मिली. चांद की मरीज उषा शाक्य को ललिता देवी से किडनी मिली.
छह परिवारों के बीच किडनी की अदला-बदली उस निजी अस्पताल के लिए एक कठिन काम था जहां एक साथ प्रत्यारोपण किया जाता था. देश के चिकित्सा इतिहास में एक ही दिन में एक ही अस्पताल में छह स्वैप किडनी का ट्रांसप्लांट शायद ही हुआ हो.
अस्पताल की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट (निदेशक) डॉ. टीसी सदासुखी ने कहा कि सभी छह ट्रांसप्लांट ऑपरेशन 8 मई, 2023 को किए गए. चार सर्जनों ने 4 ऑपरेशन थिएटरों में सुबह 8 बजे ऑपरेशन शुरू किया, जो लगभग 12 घंटे तक चला और रात 8 बजे तक पूरा हो सका. ठीक होने के 10 दिन बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई.