RIP Dilip Kumar: आज हिंदी सिनेमा का पहला सुपर-स्टार, ‘ट्रेजिडी किंग’ दिलीप कुमार हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी यादगार फिल्मों के अलावा उनकी तमाम सुखद स्मृतियां आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं. प्रस्तुत हैं कुछ ऐसी ही यादें. पुराने समय के फिल्म स्टार्स खाने-खिलाने दोनों के बहुत शौकीन होते थे. इनकी मेहमानवाजी का कोई जवाब नहीं होता था. ये आम हो या खास सभी का दिल खोलकर स्वागत करते थे. खासकर दिलीप-देव-राज (दिलीप कुमार, देव आनंद एवं राज कपूर) की तिकड़ी की मेहमानवाजी लोग आज भी मिसालें देते हैं. आज हम बात करेंगे दुनिया के हरदिल अजीज अभिनेता मरहूम दिलीप कुमार की अफलातून मेजबानी की बात करेंगे...
बात 2003 की है. सायरा बानू ने फिल्मी करियर से संन्यास लेकर सीरियल निर्माण में कदम रखा था. उनका हिंदी धारावाहिक ‘किसे अपना कहें’ सहारा मनोरंजन चैनल पर लांच हुआ था. इस लांचिंग पार्टी में सायरा बानू ने बांद्रा (मुंबई) के पालीहिल स्थित अपने बंगले में पत्रकारों को आमंत्रित किया था. धारावाहिक की स्क्रीनिंग, स्टोरी और टीआरपी आदि बातों पर गुफ्तगूं के बाद सायरा जी ने लॉन में डिनर की भी व्यवस्था की थी. सायरा जी स्वयं पत्रकारों को अपने साथ लेकर डिनर टेबल तक आईं. कहने की जरूरत नहीं कि वहां अधिकांशतया मुगलई डिशेज परोसी गई थीं.
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हांलाकि एक टेबल शाकाहारियों के लिए भी रखा गया था. इसी बीच अभिनय सम्राट दिलीप कुमार ने पार्टी में शिरकत की, उन्होंने एक प्लेट उठाकर कुछ कबाब लिये, तभी उनकी नजर मेरी प्लेट पर पड़ी, उन्होंने बड़े प्यार से कहा, जनाब आप मेरे कहने पर बस एक कबाब का स्वाद लें. इतना लज्जतदार कबाब आपको बाहर नहीं मिलेगा.
एक महान कलाकार आपके साथ खान-पान को लेकर इतना कैजुअल हो जाये तो किसी की भी आंखें फैली रह जायेंगी. कबाब वास्तव में बहुत स्वादिष्ट था. तभी मैंने देखा, कि दिलीप कुमार एक अन्य महिला पत्रकार को बिरयानी परोसते हुए बता रहे थे कि यह बिरयानी उन्होंने अपनी निगरानी में बनवाई है. इस तरह एक सुपर स्टार हर किसी को कुछ बेहतर खिलाने का प्रयास रहा था. तभी सायरा जी ने बताया कि साहब (सायरा जी उन्हें ऐसे ही संबोधित करती हैं) ने ये सारी मुगलई डिशेज अपनी देख-रेख में बनवाई हैं. लजीज खाना उनकी कमजोरी रही है. उन्हें खाना और खिलाना दोनों बहुत पसंद है.
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सायरा जी ने आगे बताया, ‘साहब’ खाने-खिलाने के साथ-साथ नयी डिशेज पकाने का भी बहुत शौक रखते हैं. वह जब किसी अजीज मित्र को दावत पर बुलाते थे, तो एक कोई एक डिश वे स्वयं भी बनाते थे, या बनवाने में कुक को गाईड करते थे. उनकी पसंदीदा डिश में चिकन सूप और फ्राई भिंडी प्रमुख हैं. वे आमलेट भी बहुत अच्छा बनाते हैं.
रमजान के दिनों में जब कभी अपने मित्रों के साथ इफ्तार करते तो, इस अवसर पर ज्यादा पालक और कम बेसन की भजिया जरूर बनवाते हैं, जो बनने के बाद कुरकुरा और स्वादिष्ट होता है. उन्हें फ्रूट सलाद सजाने का भी शौक है.
चलते-चलते दिलीप कुमार ने बताया था कि इस धारावाहिक में सायराजी ने मेरा नाम भी रखा है, दरअसल सायरा जी को खाली बैठना अच्छा नहीं लग रहा था, उन्होंने जब मुझे इसकी (धारावाहिक) कहानी सुनाई जो मुझे बहुत पसंद आई. दरअसल मैं भारत की आम महिलाओं को ऑफ स्क्रीन हो या ऑन स्क्रीन एक सशक्त रूप में देखना पसंद करता हूं. हमारे देश की तमाम महिलाओं ने दिखाया है कि वे किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं रही हैं.