देश की खबरें | नीट-यूजी परीक्षा पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करेंगे : केंद्र ने न्यायालय से कहा

नयी दिल्ली, दो जनवरी केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह पिछले साल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) के आयोजन में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली की समीक्षा के बाद परीक्षा सुधारों पर अपने सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सभी सुधारात्मक उपायों को लागू करेगा।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल दो अगस्त को विवादों से घिरे नीट-यूजी 2024 को रद्द करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वर्तमान में रिकॉर्ड में ऐसी कोई पर्याप्त सामग्री नहीं है जो परीक्षा की शुचिता से समझौता करने वाले प्रणालीगत लीक या कदाचार का संकेत दे।

शीर्ष अदालत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के दायरे का विस्तार किया जो एनटीए की कार्यप्रणाली की समीक्षा करेगी और नीट-यूजी को पारदर्शी एवं कदाचार मुक्त बनाने के वास्ते संभावित सुधारों की सिफारिश करेगी।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है और सरकार सभी सिफारिशों को लागू करेगी।

विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘हम सभी सिफारिशों को लागू करने जा रहे हैं और इसे (मामले को) छह महीने बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘मामले की सुनवाई तीन महीने के लिए स्थगित की जाती है। इस विशेष अनुमति याचिका को अप्रैल महीने में सूचीबद्ध करें।’’

पूरी रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है क्योंकि इसमें प्रश्नों की छपाई आदि जैसे मुद्दों के बारे में भी कुछ विवरण शामिल थे।

पिछले साल 21 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने परीक्षा सुधारों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को दी गई समय सीमा बढ़ा दी थी।

नीट-यूजी का आयोजन एनटीए द्वारा स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए किया जाता है।

विशेषज्ञ समिति के दायरे का विस्तार करते हुए शीर्ष अदालत ने झारखंड के हजारीबाग में एक परीक्षा केंद्र में सुरक्षा चूक का जिक्र किया था, जहां स्ट्रांगरूम का पिछला दरवाजा खोल दिया गया था और अनधिकृत लोगों को प्रश्नपत्रों तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी। न्यायालय ने ई-रिक्शा द्वारा प्रश्नपत्रों को पहुंचाने तथा उम्मीदवारों के बीच प्रश्नपत्रों के गलत सेट के वितरण सहित एनअीए की कई खामियों को चिह्नित किया था।

राधाकृष्णन के अलावा, विशेषज्ञ समिति के अन्य सदस्य रणदीप गुलेरिया, बी. जे. राव, राममूर्ति के., पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जायसवाल हैं।

पीठ ने कहा कि समिति के कार्यक्षेत्र के दायरे में केंद्र सरकार और एनटीए द्वारा सौंपे गए कार्यों के अलावा, परीक्षा सुरक्षा एवं प्रशासन, डेटा सुरक्षा एवं तकनीकी संवर्द्धन को भी शामिल किया जाए।

पीठ ने कहा है कि समिति की जिम्मेदारियों में नीति तैयार करने और हितधारकों की भागीदारी, सहयोग एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने और एनटीए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए सिफारिशें भी शामिल होंगी।

वर्ष 2024 में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 23 लाख से अधिक छात्रों ने नीट-यूजी परीक्षा दी थी।

पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने दो अगस्त के फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था और नए सिरे से नीट-यूजी 2024 परीक्षा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

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