बेलगावी, 16 दिसंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे द्वारा लगाए गए आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की।
खरगे ने आरोप लगाया है कि भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी को 150 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा सदस्यों ने ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री खरगे द्वारा गत बृहस्पतिवार को सदन में लगाए गए आरोप पर आपत्ति जताई।
खरगे ने आरोप लगाया था कि शिकारीपुरा से भाजपा विधायक विजयेंद्र ने पार्टी सदस्य मणिप्पादी को वक्फ भूमि का मुद्दा न उठाने के लिए 150 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
कर्नाटक की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान मणिप्पादी कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष थे और उन्होंने राज्य में वक्फ भूमि पर अतिक्रमण और इसमें बड़े लोगों की कथित संलिप्तता पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
विजयेंद्र ने कहा, ‘‘मंत्री ने मेरी अनुपस्थिति में सदन में आरोप लगाया था, जो अनुचित था। यही बात मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी दोहराई। यह निराधार आरोप है।’’
उन्होंने मुख्यमंत्री को कथित 150 करोड़ रुपये की पेशकश संबंधी आरोप की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देने की चुनौती दी।
विजयेंद्र ने कहा कि मंत्री को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा कि खरगे ने बिना कोई पूर्व सूचना दिए यह आरोप लगाया है।
खरगे ने विपक्षी सदस्यों को जवाब देते हुए कहा कि उनका बयान कुछ साल पहले मणिप्पादी के साक्षात्कार और मीडिया में आई खबरों पर आधारित है।
इस मुद्दे पर सदन में भाजपा और कांग्रेस विधायकों के बीच तीखी बहस हुई।
विजयेंद्र ने इससे पहले इस आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि वह वक्फ भूमि अतिक्रमण में शामिल कांग्रेस नेताओं को बचाने के लिए रिश्वत क्यों देंगे?
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)