काठमांडू, तीन अक्टूबर विजयादशमी या नेपाल में दसईं नाम से लोकप्रिय प्रमुख हिंदू त्योहार बृहस्पतिवार को भूस्खलन और बाढ़ के बीच शुरू हुआ। भूस्खलन और बाढ़ से त्योहार से पहले वस्तुओं का आयात भी प्रभावित हुआ है।
नेपाल के हिंदू और बौद्ध समुदाय अपने-अपने तरीके से इस त्योहार को मनाते हैं जिसे राष्ट्रीय त्योहार के रूप में जाना जाता है।
‘दसईं’ के पहले दिन, जौ के बीज जिन्हें जमारा कहा जाता है, मिट्टी के एक बर्तन में बोए जाते हैं, जबकि एक धातु के बर्तन 'कलश' में पानी भरकर उसके पास रखा जाता है, जिसे घटस्थापना के रूप में जाना जाता है।
काठमांडू में बृहस्पतिवार सुबह विशेष वैदिक अनुष्ठान करके शुभ मुहूर्त में जौ को सदियों पुराने शाही महल हनुमान ढोका के 'दशईं घर' में लगाया गया। घटस्थापना के साथ ही काठमांडू घाटी सहित देश भर के सभी शक्तिपीठों या धार्मिक शक्ति केंद्रों में उत्सव और पूजा-अर्चना होती है।
जौ के बीज 10वें दिन, विजयादशमी के दिन जौ के अंकुर के रूप में उगते हैं तथा उन्हें चावल और दही के साथ मिश्रित सिंदूर पाउडर के साथ छोटों के माथे पर विजयादशमी उत्सव मनाते हुए लगाया जाता है। दशमी के बाद भी, लोग अगले कुछ दिनों तक अपने बुजुर्गों के माथे पर टीका लगाने के लिए जाते हैं, जिससे उत्सव 15 दिनों तक चलता है।
इस साल त्यौहारों का जश्न कई दिनों तक लगातार बारिश के कारण फीका रहा, जिसके कारण बड़े पैमाने पर बाढ़ और भूस्खलन हुआ है। इससे हिमालयी राष्ट्र में 240 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
बुधवार को गृहमंत्री रमेश लेखक ने अधिकारियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया, क्योंकि मौसम विभाग ने कोशी और बागमती प्रांतों के साथ-साथ काठमांडू घाटी में भारी बारिश जारी रहने का अनुमान जताया है। बुधवार तक बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से 17,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)