नयी दिल्ली, एक मार्च जलवायु परिवर्तन से संबंधित आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी हल्की और गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें चिंता, अवसाद, पीड़ादायक तीव्र तनाव और अनिद्रा आदि शामिल हैं। ऐसे में इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिये अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत आ सकती है।
जलवायु परिवर्तन अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) कार्यकारी समूह-II 'जलवायु परिवर्तन 2022: प्रभाव, स्वीकार्यता एवं जोखिम ' रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई, जिसमें चेतावनी दी गई है कि जलवायु संबंधी घटनाओं और स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ''जलवायु संबंधी घटनाएं जिन रास्तों से मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, वे विविध और जटिल हैं तथा संवेदनशीलता पैदा करने वाले अन्य गैर-जलवायु प्रभावों से जुड़े हुए हैं।''
रिपोर्ट के अनुसार, ''जलवायु जोखिम प्रत्यक्ष हो सकता है, जैसे कि मौसम संबंधी प्रतिकूल घटनाएं अधिक होना या फिर लंबे समय तक उच्च तापमान का अनुभव करना। ये जोखिम अप्रत्यक्ष भी हो सकता है जैसे कि कुपोषण या विस्थापन के चलते पैदा होने वाले मानसिक स्वास्थ्य परिणाम।''
आईपीसीसी की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इन समस्याओं को समाप्त नहीं करने से दुनिया और विशेष रूप से दक्षिण एशिया को गंभीर नुकसान होगा, जहां लू में असहनीय वृद्धि, खाद्य और पेयजल की किल्लत और समुद्री स्तर में बढोतरी जैसी समस्याएं मौजूद हैं।
लगभग 200 देशों द्वारा अनुमोदित इस रिपोर्ट में कहा गया है, ''इस पृष्ठभूमि और प्रासंगिक कारकों के आधार पर, इसी तरह की जलवायु घटनाओं के परिणामस्वरूप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी हल्की और गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें चिंता, अवसाद, पीड़ादायक तीव्र तनाव और अनिद्रा आदि शामिल हैं। ऐसे में इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिये अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत आ सकती है।''
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