नई दिल्ली: वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन की प्रयोगशाला में किए गए प्रारंभिक परीक्षणों में लेजर-इंड्यूस्ड ग्राफीन सूर्य की रोशनी में 10 मिनट रहने के बाद मनुष्यों को प्रभावित करने वाले दो कोरोना वायरसों को लगभग 100 प्रतिशत तक निष्क्रिय करने में सक्षम है.सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग (सिटीयू) के अनुसंधानकर्ता भविष्य में सार्स-सीओवी-2 वायरस पर यही जांच करने की योजना बना रहे हैं। सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण ही कोविड-19 बीमारी होती है.
टीम ने ग्राफीन का मास्क भी विकसित किया है जो 80 प्रतिशत तक जीवाणुओं को रोकने/निष्क्रिय करने में सक्षम है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि सूर्य की रोशनी में 10 मिनट रहने के बाद इस मास्क की प्रभावकारिता करीब 100 प्रतिशत हो जाएगी. जर्नल एसीएस नैनो में प्रकाशित अनुसंधान के अनुसार, इन ग्राफीन मास्क का निर्माण बेहद कम लागत पर आसानी से किया जा सकता है और इससे कच्चे माल की समस्या और गैर-जैवनिम्नीकरणीय (नॉन-बायोडिग्रेडेबल) मास्कों के निस्तारण की समस्या भी खत्म हो जाएगी. यह भी पढ़े | Deepak Kochhar Tested COVID-19 Positive: मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार चंदा कोचर के पति दीपक कोचर कोरोना संक्रमित, AIIMS में कराया गया भर्ती.
अनुसंधानकर्ताओं ने लेजर का उपयोग करने ग्राफीन मास्क के निर्माण को ‘‘पर्यावरोन्मुखी तकनीक’’ बताया है. उनका कहना है कि कार्बन से बनी कोई भी चीज जैसे, सेल्युलोज या कागज को भी इस तकनीक की मदद से ग्राफीन में बदला जा सकता है. उनका कहना है कि सिर्फ कच्चे माल से बिना किसी रसायन का उपयोग किए उचित वातावरण में ग्राफीन तैयार किया जा सकता है और इस प्रक्रिया में कोई प्रदूषण नहीं होगा.
सिटीयू के सहायक प्रोफेसर ये रूक्वान का कहना है, ‘‘लेजर तकनीक से तैयार ग्राफीन मास्क का एक से ज्यादा बार उपयोग किया जा सकता है। अगर ग्राफीन का निर्माण करने के लिए बायो सामग्री का उपयोग किया जाए तो, यह मास्क के लिए कच्चे माल की उपलब्धता की समस्या का भी समाधान कर सकता है. का मानना है कि यह मास्क कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में उपयोग साबित होगा क्योंकि सामान्य तौर पर प्रयोग किए जाने वाले सर्जिकल मास्क में जीवाणुओं को निष्क्रिय करने की क्षमता नहीं होती है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)