जरुरी जानकारी | व्यापक जोखिम वाले एनबीएफसी के लिये कड़े नियमन की जरूरत: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

नयी दिल्ली, छह नवंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये कायदे-कानून को लेकर फिर से विचार करने की जरूरत बतायी है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जिन एनबीएफसी का अन्य क्षेत्रों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है और काफी हद तक ये व्यवस्था के लिये जोखिम पैदा कर सकते हैं, उनकी पहचान होनी चाहिये और उनके लिये मजबूत नियमन की जरूरत है।

राव ने कहा, ‘‘यह भी तर्क दिया जा सकता है कि ऐसे एनबीएफसी के लिये युक्तिसंगत नियामकीय व्यवस्था इस रूप से हो जिसकी तुलना बैंकों से की जा सके। ताकि एक सीमा से अधिक जोखिम की स्थिति होने पर, ऐसे एनबीएफसी को वाणिज्यिक बैंक में तब्दील करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके या फिर उनके दायरे को कम किया जा सके।’’

यह भी पढ़े | कर्नाटक सरकार दीपावली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाएगी: मुख्यमंत्री येदियुरप्पा.

उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इससे वित्तीय क्षेत्र मजबूत होगा। साथ ही बहुसंख्यक एनबीएफसी कुछ हल्के नियामकीय व्यवस्था के अंतर्गत काम कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि बैंकों की तुलना में फिलहाल नियामकीय व्यवस्था के मामले में एनबीएफसी में लचीलापन है। ये इकाइयां ऐसे में व्यवस्था के लिये जोखिम पैदा कर सकती हैं। अत: नियमन के बारे में फिर से विचार करने की जरूरत है।

यह भी पढ़े | Coronavirus: CM केजरीवाल ने कहा- मास्क लगाने का प्रचार प्रसार किसी आंदोलन की तरह करने की जरूरत.

राव ने कहा, ‘‘हम एनबीएफसी के लिये श्रेणीबद्ध नियामकीय रूपरेखा पर विचार कर सकते हैं। इस बारे में प्रणाली को लेकर उनके योगदान के संदर्भ में इस पर विचार किया जा सकता है।’’

छोटे कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के बारे में उन्होंने कहा कि एनबीएफसी- एमएफआई का योगदान सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में कम होकर 30 प्रतिशत से कुछ अधिक रह गया है। इसका कारण कई एमएफआई का लघु वित्त बैंकों मे तब्दील होना है।

राव ने कहा, ‘‘आज हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां मजबूत नियामकीय व्यवस्था कुछ छोटे सूक्ष्म वित्त क्षेत्र पर ही लागू हैं। सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के मामले में नियामकीय प्रावधानों को फिर से निर्धारित करने की जरूरत है ताकि हमारा नियमन गतिविधियां पर आधारित हो न कि इकाई आधारित।’’

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी के आधार पर काम कर रहे एनबीएफसी नई प्रकार की चुनौतियां पैदा कर रही हैं। भविष्य में वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिये नियमन बनाते समय आरबीआई को वृद्धि के साथ-साथ ग्राहकों और आंकड़ों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)