VIDEO: प्रयागराज की बेटी अनामिका ने 13000 फीट की ऊंचाई पर लहराया महाकुंभ का झंडा, देखें स्काई डाइविंग का वीडियो

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की बेटी अनामिका शर्मा ने एक और कीर्तिमान स्थापित कर महाकुंभ को गर्व का पल दिया. अनामिका ने बैंकॉक में 13,000 फीट की ऊंचाई से स्काई डाइविंग करते हुए महाकुंभ 2025 का आधिकारिक झंडा आकाश में लहराया. इस अद्वितीय उपलब्धि के जरिए अनामिका ने दुनिया को महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण दिया.

सबसे कम उम्र की स्काई डाइवर

प्रयागराज की अनामिका शर्मा भारत की सबसे कम उम्र की सी-लाइसेंस प्राप्त महिला स्काई डाइवर हैं. इससे पहले, वह 13,000 फीट की ऊंचाई से ‘जय श्री राम’ और राम मंदिर के ध्वज के साथ छलांग लगाकर कीर्तिमान बना चुकी हैं. उनकी यह उपलब्धि न केवल प्रयागराज बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है.

यहां देखें वीडियो

 

 
 
 

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संगम पर लैंडिंग की तैयारी में अनामिका शर्मा

महाकुंभ 2025 के बाद संगम के पवित्र जल में लैंडिंग की योजना बनाकर अनामिका शर्मा ने एक और अद्वितीय उपलब्धि की तैयारी कर ली है. अनामिका ने प्रयागराज के मेला अधिकारी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की इच्छा जाहिर की है. उनका लक्ष्य महिला दिवस (8 मार्च 2025) से पहले संगम पर लैंडिंग कर महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनना है. इसके अलावा, अनामिका एक प्रशिक्षित स्कूबा डाइवर भी हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है.

कौन हैं अनामिका शर्मा?

अनामिका शर्मा भारत की सबसे कम उम्र की C-लाइसेंस प्राप्त स्काई डाइवर हैं. उनके पिता अजय कुमार शर्मा भारतीय वायुसेना में कार्यरत रहे हैं और एक अनुभवी स्काई डाइविंग प्रशिक्षक हैं. पिता के प्रोत्साहन से अनामिका ने महज 10 साल की उम्र में अपनी पहली छलांग लगाई. आज 24 साल की अनामिका अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स पैराशूट एसोसिएशन (USPA) से C-लाइसेंस प्राप्त कर चुकी हैं और एक प्रशिक्षित स्काई डाइविंग प्रशिक्षक हैं.

महाकुंभ का संदेश विश्वभर में पहुंचाया

अनामिका ने ‘दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ’ का संदेश विश्वभर में पहुंचाने का अनोखा प्रयास किया है. उनके इस कदम ने महाकुंभ 2025 की महिमा को और बढ़ा दिया है. प्रयागराज का महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, और अनामिका ने इसे एक नई पहचान दी है.

अनामिका शर्मा की उपलब्धियां युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने साबित कर दिया कि यदि जुनून और साहस हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. उनका यह प्रयास महाकुंभ की वैश्विक पहचान को और सुदृढ़ करेगा. यह उपलब्धि न केवल महाकुंभ की प्रतिष्ठा को बढ़ाती है, बल्कि देश की बेटियों की ताकत और काबिलियत को भी दर्शाती है.