जयपुर, छह अक्तूबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण समूची दुनिया एक बार फिर विकास की भारतीय विचार परंपरा की ओर लौटी है और उसे बड़ी उम्मीद से देख रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैविक खाद के बारे में 50 साल पहले विदर्भ के नेडप काका बड़ी अच्छी योजना लेकर केंद्र के पास गए, लेकिन उस योजना को सिर्फ इसलिये कचरे में डाल दिया गया कि वह भारत के दिमाग से निकली थी। परंतु, आज ऐसा नहीं है। पिछले छह महीने से कोरोना की जो मार पड़ रही है, उसके कारण सारी दुनिया विचार करने लगी है और पर्यावरण का मित्र बनकर मनुष्य व सृष्टि का एकसाथ विकास साधने वाले भारतीय विचार के मूल तत्वों की ओर लौट रही है तथा आशा से देख रही है।'’
भागवत मंगलवार को कोटा में दत्तोपंत ठेंगडी जन्म शताब्दी समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां कृषि पेट भरने का विषय कभी नहीं रहा बल्कि खेती को हमेशा प्रकृति के आशीर्वाद के रूप में देखा गया है और किसान के लिए कृषि कर्म एक धर्म है। कृषि को हमने व्यापार करने के साधन के तौर पर नहीं, बल्कि इसे वैभव की देवी लक्ष्मी की आराधना के रूप में देखा है।’’
यह भी पढ़े | West Bengal: बंगाल में भाजपा नेता की हत्या के मामले में CID ने दो लोगों को किया गिरफ्तार.
भागवत ने कहा, ‘‘हमें अनुभव और सिद्ध प्रमाणों के आधार पर आदर्श कृषि तैयारी करनी है।’’
उन्होंने कहा कि भारत का 10 हजार साल का कृषि का अनुभव है, इसलिये पश्चिम से प्रकृति विरोधी सिद्धांत लेना आवश्यक नहीं है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)