IND vs SA: टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने कहा- ओवर-गति पर जुर्माना कई बार कठोर लगता है, लेकिन बेहतर होने की जरूरत
टीम इंडिया (Photo Credits: BCCI)

जोहानिसबर्ग: भारत (India) के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने रविवार को स्वीकार किया कि उनकी टीम को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के खिलाफ सेंचुरियन में पहले टेस्ट में ओवर-गति के कारण विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) का एक अंक गंवाने के बाद इस मामले में बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है. उन्हें हालांकि लगता है कि कुछ मामलों में इसमें छूट दी जा सकती है. ओवर-गति कम होने पर  डब्ल्यूटीसी अंक से कटौती किसी भी टीम के लिए फाइनल में पहुंचने की राह मुश्किल कर सकती है. IND vs SA 2nd Test: कल से शुरू होगा टीम इंडिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा टेस्ट, देखें हेड टू हेड आंकड़े

आस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन टेस्ट में तय समय में आठ ओवर कम फेंकने के कारण इंग्लैंड के खिलाफ आठ डब्ल्यूटीसी अंक का जुर्माना लगाया गया था. द्रविड़ ने कहा, ‘‘आईसीसी स्पष्ट रूप से कुछ करने की कोशिश कर रहा है. एक कोच के रूप में यह परेशान करने वाला होता है और कई बार यह थोड़ा कठिन लगता है. यह हमें ओवर गति को तेज करने के लिए प्रेरित करता है.’’

द्रविड़ ने कहा कि उन्हें आईसीसी द्वारा बनाए गए नये नियम से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अधिकारियों को अंक कटौती करने से पहले स्थितियों की पूरी समझ होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अतीत में जुर्माना लगाने की कोशिश की है और यह काम नहीं कर रहा है, अतीत में अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया लेकिन उससे बात नहीं बनीं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आईसीसी ने अब अंक कटौती करने का तरीका अपनाया है. इससे मुझे कोई परेशानी नहीं है. परिस्थितियों के मुताबिक हालांकि थोड़ी सी छूट मिलनी चाहिये. पिछली बार हमारे कुछ खिलाड़ी चोटिल हुए थे. बेशक हमें कुछ छूट दी गई थी लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है. यह बताना मुश्किल होता है कि आप कितने मिनट गंवाते हैं.’’

ओवर गति को बेहतर करने के लिए टीम किन क्षेत्रों पर काम कर सकती है, इस बारे में द्रविड़ ने कहा, ‘‘जब  बुमराह को चोट लगी थी तब  फिजियो को जाकर (मैदान में) बहुत समय बिताना पड़ा था. पिछली बार गेंद को बदलने के साथ कुछ अन्य मुद्दे थे.’’ भारतीय टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ मैच खेल रही है और इससे टीम को ओवर गति बनाये रखने में परेशानी हो रही है. घरेलू मैचों में स्पिनरों की भूमिका अधिक होती है और ऐसे में इस परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है.

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