विदेश की खबरें | जलवायु शिखर सम्मेलन में बढ़ती जा रही प्रतिभागियों की संख्या, प्रमुख मुद्दों पर नहीं हो पाती बात
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ब्रिस्टल, 17 दिसंबर (द कन्वरसेशन) हर साल, संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रतिभागियों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2021 में ग्लासगो में हुए सीओपी 26 में लगभग 40 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 2022 में हुए सीओपी 27 में 50 हजार प्रतिभागी शामिल हुए।

लेकिन इस साल पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए। दुबई में हुए सीओपी 28 में 97 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि सीओपी में कौन हिस्सा ले रहा है और वे वहां क्या कर रहे हैं, किनकी बातें सुनी जाती हैं और सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात ये कि इससे बातचीत पर क्या फर्क पड़ता है।

सीओपी के तौर-तरीकों की जानकारी नहीं रखने वालों के लिए एक तरह से दो दुनिया एक साथ चलती हैं। पहली दुनिया वार्ता से संबंधित है, जो संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन निकाय यूएनएफसीसीसी के तहत होती हैं जबकि दूसरी दुनिया सामाजिक कार्यक्रमों से जुड़ी है। यह दुनिया पवेलियन में लगने वाली प्रदर्शनी में दिखाई देती है और कोई भी इसमें शामिल हो सकता है। यह बातचीत वाली दुनिया के विपरीत है, जो अकसर मीडिया और कभी-कभी पर्यवेक्षकों के लिए भी बंद रहती है।

इन दोनों दुनिया के बीच एक बड़ा अंतर है, पवेलियन वाली दुनिया अक्सर खुली और आकर्षक होती है जबकि बातचीत वाली दुनिया अक्सर खिड़की रहित कमरों तक ही सीमित रहती है।

सीओपी की "पारंपरिक" दुनिया में निवेश करने वालों के बीच यह भावना बढ़ती जा रही है कि कई प्रतिनिधियों का स्वयं जलवायु वार्ता में शामिल होने का कोई इरादा नहीं होता बल्कि इसके बजाय वे अपना समय पवेलियनों में बिताते हैं।

अगर बात की जाए कि सीओपी28 में कौन-कौन शामिल हुआ तो आपको बता दें कि इसमें विभिन्न देशों के लगभग 25 हजार प्रतिनिधि, 27 हजार मेहमान, प्रायोजक, सलाहकार, सीओपी का संचालन करने वाले यूएनएफसीसी सचिवालय के 900 प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र से संबंध न रखने वाले 600 प्रतिभागी, और विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक व अन्य संगठनों के 1,350 प्रतिनिधि शामिल हुए। इन्हें मिलाकर कुल संख्या 55 हजार हुई जो कुल प्रतिभागियों की आधी संख्या है।

इसके अलावा अंतर सरकारी संगठनों के 2,000 प्रतिभागी, 600 संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जलवायु कार्य योजना पुरस्कार विजेता, मेजबान देश के 5000 मेहमान, 500 अस्थायी पास धारक, गैर सरकारी संगठनों के 14 हजार प्रतिभागी और चार हजार मीडियाकर्मी सीओपी28 में शामिल हुए।

यूएनएफसीसीसी ने ये आंकड़े साझा किए हैं, जिसके अनुसार प्रतिभागियों की संख्या लगभग 80 हजार रही।

प्रतिभागियों की भीड़ जुटने से सम्मेलन में उठने वाली प्रमुख आवाजें दब जाती हैं। ऐसे में कुछ सुझाव पेश किए जा सकते हैं, जिनपर अमल करके सम्मेलनों को सार्थक बनाया जा सकता है।

डिजिटल माध्यम से प्रतिभागियों को सम्मेलन में शामिल करना एक विकल्प हो सकता है, जिसे आजमाया भी जा चुका है। इस साल के सीओपी में पहली बार आधिकारिक यूएनएफसीसीसी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कुछ वार्ताओं, कार्यक्रमों और संवाददाता सम्मेलनों की लाइव स्ट्रीम और रिकॉर्डिंग का परीक्षण किया गया। यह विकल्प बहुप्रतीक्षित है, लेकिन इसे आजमाने का स्वागत होना चाहिए। इससे यात्रा में लगने वाला समय बचता है और यात्रा अधिक सुलभ होती है। यह विकल्प उन लोगों के लिए कारगर है, जो किन्हीं जिम्मेदारियों के चलते यात्रा करने में असमर्थ होते हैं।

इस विकल्प में कुछ शुरुआती तकनीकी समस्याएं अपेक्षित हैं। फिर भी जब हमने पूछा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ने कई सत्रों को लाइवस्ट्रीम क्यों नहीं किया, तो सीओपी28 की सहायता टीम ने आधिकारिक सीओपी28 ऐप की ओर इशारा किया। हमारे नियोक्ता, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय ने हमें सुरक्षा चिंताओं के कारण ऐप डाउनलोड न करने की सलाह दी थी। इससे एक बार फिर यूएनएफसीसीसी कार्यक्रम में पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ-साथ मेजबान देशों में वाक व सभा की स्वतंत्रता के गंभीर मुद्दे उजागर होते हैं।

एक अन्य विकल्प सीओपी तक पहुंच को सीमित करना है - उदाहरण के लिए, सबसे महत्वपूर्ण प्रतिभागियों को ही व्यक्तिगत वार्ता की अनुमति दी जा सकती है। जीवाश्म ईंधन उद्योगों के पैरवीकारों की संख्या कम करके जलवायु पीड़ितों, मूल समुदायों और कम प्रतिनिधित्व वाले देशों को प्राथमिकता दी जा सकती है।

सीओपी से कुछ महीने पहले इससे इतर होने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। इन कार्यक्रमों के साथ-साथ होने से वार्ता प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है।

कुल मिलाकर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाकर जलवायु सम्मेलन में जुटने वाली भीड़ को कम करके सम्मेलन को सार्थक बनाया जा सकता है।

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