नयी दिल्ली, आठ मार्च विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि रूसी सेना के साथ काम करने के लिए कई भारतीय नागरिकों के साथ धोखाधड़ी मामले को भारत ने रूस के समक्ष मजबूती से उठाया है ताकि उन लोगों की शीघ्र रिहाई हो सके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि झूठे प्रलोभन और वादों पर भारतीयों को भर्ती करने वाले एजेंट और ऐसे कृत्यों में संलिप्त तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है।
जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत रूसी सेना में सहायक कर्मी के रूप में कार्यरत भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हैदराबाद के निवासी मोहम्मद असफान की मौत के कुछ दिनों बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की यह टिप्पणी आई है। भारतीय नागरिक असफान को धोखा से यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में भेज दिया गया।
मॉस्को में भारतीय दूतावास ने बुधवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में असफान की मौत की पुष्टि की। हालांकि उनके निधन के कारण या परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया। एक अन्य भारतीय की कई दिन पहले मृत्यु हो गई, जिसने रूसी सेना में सहायक कर्मचारी के रूप में भी काम किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत उनके शवों को वापस लाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि करीब 20 लोगों ने भारत सरकार से संपर्क किया है और सरकार उनका पता लगाने की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि, रूसी सेना में सहायक कर्मी के रूप में काम करने वाले भारतीयों की सटीक संख्या अभी तक ज्ञात नहीं है।
जायसवाल ने भारतीय नागरिकों से अपील की कि वे रूसी सेना में सहायक नौकरियों के लिए एजेंट द्वारा दिए गए प्रस्तावों से ‘‘बहकावे’’ में न आएं क्योंकि यह जीवन के लिए खतरे और जोखिम से भरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के साथ काम करने के लिए धोखा दिया गया है। हमने ऐसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के लिए रूसी सरकार के साथ मजबूती से मामला उठाया है।’’
जायसवाल ने कहा कि झूठा प्रलोभन देकर भारतीयों को भर्ती करने वाले एजेंट और ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कल कई शहरों में तलाशी लेकर और सबूत इकट्ठा करते हुए एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। कई एजेंट के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया है।’’
खबरों के मुताबिक, रूसी सेना में सुरक्षा सहायकों के रूप में भर्ती किए गए कई भारतीयों को यूक्रेन के साथ रूस की सीमा के कुछ क्षेत्रों में रूसी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए भी मजबूर किया गया है।
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