Farmers Protest: किसानों के मार्च से सिंघु बॉर्डर पर दुकानदार और व्यापारी मुश्किल दौर से गुजरने के लिए मजबूर
Farmer Protest Credit- ANI

नयी दिल्ली, 14 फरवरी : दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर करीबन दो वर्ष पहले किसानों ने विशाल विरोध प्रदर्शन किया था, जिससे दुकानदारों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और आज जब फिर वहीं सब चीजें दोहराई जा रही है, तो यहां रहने वाले व्यापारियों के मन में एक बार फिर उथल-पुथल मची है. इस बार वजह है पंजाब के किसानों द्वारा बुलाया गया 'दिल्ली चलो' मार्च, जिसकी शुरुआत मंगलवार को हजारों की संख्या में ट्रकों, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और पैदल चलकर आने वाले किसानों के साथ हुई. फिलहाल इस मार्च को पंजाब-हरियाणा सीमा पर रोक दिया गया है लेकिन उन्हें राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर पर भारी अवरोधकों और कंक्रीट कई ब्लॉक से किलेबंदी की गयी है. साथ ही भारी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और लोगों की सीमा पार आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया गया है.

यातायात सहित विभिन्न प्रतिबंधों के कारण स्थानीय लोगों को भी आने-जाने में काफी कठिनाई हो रही है और दुकानें अपराह्न दो बजे से पहले ही बंद हो रही हैं. 'कॉस्ट टू कॉस्ट' नाम के खरीदारी परिसर के प्रबंधक निकेश ने कहा, ''हमारे कर्मी कार्यस्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. पिछले दो दिनों से दुकानें बंद पड़ी हैं, जिससे रोजाना 40 से 50 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है.'' उन्होंने कहा, ''जिस इमारत को हमने किराये पर लिया हुआ है उसका दिन का किराया 20 हजार रुपये पड़ता है. कौन हमारे नुकसान की भरपाई करेगा, सरकार या किसान?'' यह भी पढ़ें : दिल्ली मेट्रो में 13 फरवरी को रिकार्ड संख्या में यात्रियों ने सफर किया

स्थानीय बाजार में भी गिनी-चुनी दुकानें ही खुली हैं लेकिन ग्राहकों की कम संख्या और समय से पहले दुकान बंद करने से उन्हें भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. इलाके के ही एक दुकानदार करण ने कहा, ''जब से यह प्रतिबंध लागू किये गये हैं तब से मेरी दुकानें 95 फीसदी घाटे में जा रही हैं. हमारे ग्राहक सिंघु बॉर्डर के साथ-साथ हरियाणा के इलाकों से भी आते थे.'' करण की इलाके में तीन दुकानें हैं, जिनमें से एक दुकान कपड़े की है. उन्होंने कहा, ''जब पिछली बार किसानों का आंदोलन हुआ था तो हमें अपनी तीनों दुकानें एक साल के लिए बंद करनी पड़ी थीं. अब यहां कोई ग्राहक नहीं है. पता नहीं, अब क्या होगा.'