मुंबई, 11 जनवरी पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने शनिवार को कहा कि नियामक डेरिवेटिव खंड में गतिविधि को रोकने या प्रतिबंधित करने के लिए कोई और कदम उठाने की योजना नहीं बना रहा है।
नारायण ने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पद्मनाभन के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समूह प्रणाली को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है और कारोबारी सुगमता एवं बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए कुछ कदमों पर विचार किया जा रहा है।
नारायण ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रवर्तित एनआईएसएम के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “इस समय सेबी की तरफ से डेरिवेटिव खंड में गतिविधियां रोकने के लिए कोई और कदम उठाने का कोई विचार नहीं है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि सेबी ‘उपयुक्तता और अनुकूलता’ को लेकर ऐसा कोई कदम उठाने पर विचार नहीं कर रहा है जो यह निर्धारित करे कि डेरिवेटिव बाजार में कौन कारोबार कर सकता है।
सेबी ने पिछले साल नवंबर में वायदा और विकल्प बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव भरे कारोबार पर लगाम के लिए प्रतिबंधों का एक सेट लागू किया था। सेबी ने यह कदम पिछले तीन वर्षों में 93 प्रतिशत सौदों में पैसा गंवाने वाले निवेशकों के आंकड़े सामने आने के बाद उठाया था।
सेबी के पू्र्णकालिक सदस्य ने कहा कि सेबी डेरिवेटिव के खिलाफ नहीं है और मूल्य निर्धारण और बाजार को गहरा बनाने में मददगार डेरिवेटिव को लेकर बदलाव केवल परामर्श के बाद ही पेश किए जाएंगे।
बाजार नियामक के भीतर चर्चा किए जा रहे कुछ उपायों में डेरिवेटिव बाजार में जोखिम को बेहतर ढंग से मापने के लिए कदम शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “आपको आदर्श रूप से चाहिए कि नकद बाजार में मात्रा और गहराई अच्छी हो। इसी तरह डेरिवेटिव बाजार में भी मात्रा व्यापक होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दोनों बाजारों की तरलता में किसी प्रकार का अंतर्सम्बंध हो।”
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