विदेश की खबरें | कम ‘स्क्रॉल’ करें, अधिक जुड़ें : नया अध्ययन बताता है कि सोशल मीडिया को कैसे अपने लिए उपयोगी बनाएं
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

वैंकूवर, दो दिसंबर (द कन्वरसेशन) हम सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना आपके लिए बुरा माना जाता है। सोशल मीडिया का अधिक उपयोग अवसाद और एफओएमओ (कुछ छूटने के डर) से जुड़ा है। यहां तक ​​कि इंस्टाग्राम और फेसबुक से संबंधित कंपनी मेटा का आंतरिक शोध डेटा भी इससे सहमत है।

हालांकि, पिछले दशक में सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन के ताने-बाने में रच-बस गया है। इसके बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है।

युवा विशेष रूप से असुरक्षित हैं। 80 प्रतिशत युवा वयस्क प्रतिदिन सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, और इस पर प्रतिदिन लगभग तीन घंटे बिताते हैं। कई लोगों के लिए सोशल मीडिया ‘स्क्रॉल’ करना जागने के बाद उनका पहला काम और सोने से पहले का आखिरी काम है।

दूसरी ओर, सोशल मीडिया लोगों को दोस्तों और परिवार से जुड़ने में भी मदद कर सकता है। यह कम अहमियत रखने वाले या कलंकित पहचान वाले लोगों के लिए विशेष रूप से सच है, सोशल मीडिया उन्हें समान अन्य लोगों का समुदाय ढूंढने में मदद कर सकता है, जो दूर रह सकते हैं।

तो हमें क्या करना चाहिए? क्या हमारे लिए केवल यही समाधान है कि सोशल मीडिया को छोड़ दें? क्या हमारे लिए यह सीखना संभव है कि कैसे सोशल मीडिया का उपयोग चतुराई के साथ करें।

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में हमारी लैब, प्रमोटिंग इक्विटेबल, अफरमिंग रिलेशनशिप लैब के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि न केवल यह संभव है, बल्कि यह भी कि जानबूझकर सोशल मीडिया का उपयोग करना वास्तव में कल्याणकारी सकता है। अध्ययन के निष्कर्ष सोशल मीडिया को तनाव का स्रोत होने के बजाय इसकी अच्छाई का साधन बनने की क्षमता को उजागर करते हैं।

लॉकआउट तंत्र और टाइमर जैसे डिजिटल रूप से कई स्व-नियंत्रण उपकरण हमें सोशल मीडिया पर कटौती करने में मदद करने के लिए मौजूद हैं, लेकिन हम सवाल करते हैं कि क्या यदि सोशल मीडिया का अलग तरीके से उपयोग किया जाए तो इसकी सकारात्मकता अधिकतम हो सकती है और हमारे जीवन में इसकी नकारात्मकता कम हो सकती है?

अधिकतम लाभ के लिए सोशल मीडिया का उपयोग

हमारे छह सप्ताह के अध्ययन में, कुछ मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों और सोशल मीडिया के उनके जीवन पर प्रभाव के बारे में चिंताओं वाले 393 कनाडाई युवा वयस्कों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था:

1-एक नियंत्रण समूह जिसने अपनी सामान्य दिनचर्या जारी रखी

2- एक संयम समूह को सोशल मीडिया से पूरी तरह से ब्रेक लेने को कहा गया

3- एक शैक्षिक कार्यक्रम समूह जिसे जानबूझकर उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था

शैक्षिक कार्यक्रम ने लोगों को दिखाया कि कैसे नकारात्मक पहलुओं (जैसे कि ऑनलाइन मंच पर एक निश्चित तरीके से देखने या कार्य करने का दबाव महसूस करना) से बचा जाए और अच्छी चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।

ऐसा करने के लिए, हमने सोशल मीडिया पर आपसी संबंध में मात्रा से अधिक गुणवत्ता पर जोर दिया। प्रतिभागियों ने ईर्ष्या या नकारात्मक आत्म-तुलना शुरू करने वाले अकाउंट को ‘म्यूट या अनफॉलो’ करके और घनिष्ठ मित्रता को प्राथमिकता देकर एक स्वस्थ ऑनलाइन वातावरण तैयार किया।

निष्क्रिय रूप से स्क्रॉल करने के बजाय, उन्हें टिप्पणी करके या सीधे संदेश भेजकर दोस्तों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया - यह एक ऐसा व्यवहार है जो उपयोगकर्ताओं को सामाजिक रूप से अधिक समर्थित महसूस कराने में मदद के लिहाज से अर्थपूर्ण संबंधों को और गहरा करता है।

हमने सभी प्रतिभागियों से अपने ‘स्क्रीन टाइम’ का पता लगाने और हमें अपनी भलाई के बारे में बताने के लिए कहा।

अध्ययन में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने सोशल मीडिया से ब्रेक लिया या जानबूझकर सोशल मीडिया का उपयोग करके किसी शैक्षिक कार्यक्रम में भाग लिया, उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव हुआ।

कम अकेलापन महसूस होना

हमारे परिणाम आशाजनक हैं। जिन लोगों ने ब्रेक लिया, उनमें अवसाद और चिंता के लक्षण कम महसूस हुए, जबकि शैक्षिक कार्यक्रम में शामिल लोगों को कम अकेलापन महसूस हुआ और उन्हें कम एफओएमओ (कुछ छूटने का डर) का अनुभव हुआ।

सामाजिक तुलना बंद करना

दोनों समूहों - जिन्होंने ब्रेक लिया और जिन्होंने शैक्षिक कार्यक्रम पूरा किया - ने ऑनलाइन दूसरों से अपनी तुलना करने की प्रवृत्ति में कमी देखी। यह एक बड़ा कदम है क्योंकि सामाजिक तुलना को अक्सर सोशल मीडिया के उपयोग से उत्पन्न होने वाली सभी बुराइयों की जड़ माना जाता है।

कुल मिलाकर, दोनों दृष्टिकोणों ने अस्वास्थ्यकर सोशल मीडिया आदतों को कम किया और कल्याण में सुधार किया। जानबूझकर जुड़ने के तरीके से सोशल मीडिया का उपयोग करना इसे पूरी तरह से छोड़ने की तुलना में कुछ लोगों के लिए उतना ही फायदेमंद और संभावित रूप से अधिक टिकाऊ हो सकता है।

जबकि हमारा अध्ययन कुछ समाधान प्रदान करता है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हम तेजी से डिजिटल दुनिया में सहायक और प्रामाणिक ‘कनेक्शन’ को कैसे बढ़ावा देना जारी रख सकते हैं?

सबसे अहम बात क्या है? सोशल मीडिया बरकरार रहेगा और हमें इसके साथ रहने के लिए सबसे स्वस्थ तरीके खोजने की जरूरत है।

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