जरुरी जानकारी | यथोचित जांच, कोष उपयोगिता ऑडिट से काबू में आ सकती है बैंक धोखाधड़ी: विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, 30 अगस्त बैंक धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर विशेषज्ञों का कहना है कि शाखा स्तर पर यथोचित जांच और नियमित रूप से कोष उपयोगिता ऑडिट के जरिेए इस पर काबू पाया जा सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि 2019-20 के दौरान बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या और धनराशि की मात्रा, दोनों लिहाज से काफी बढ़ोतरी हुई है।

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वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 के दौरान बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा बताए गए कुल बैंक धोखाधड़ी (एक लाख या उससे अधिक) के मामलों में संख्या के आधार पर 28 प्रतिशत और मात्रा के आधार पर 159 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

पीडब्ल्यूसी के पार्टनर गगन पुरी ने कहा कि जमाकर्ताओं के धन के गलत इस्तेमाल के लिए कर्जदारों और कर्ज देने वालों, दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

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उन्होंने कहा, ‘‘जवाबदेही की संस्कृति और किसी गड़बड़ी को जरा भी बर्दाश्त न करने की नीति पर अमल करके धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।’’

खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अतुल पाण्डेय ने कहा कि बैंकिंग धोखाधड़ी में मुख्य रूप से ऋण संबंधी धोखाधड़ी होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आरबीआई ने धोखाधड़ी की पहचान करने की प्रक्रिया को काफी मजबूत किया है और मामलों की संख्या में इतनी तेजी से बढ़ोतरी का अर्थ यह नहीं कि बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं, लेकिन हो सकता है कि पहले से अनिर्धारित मामले हों।’’

पाण्डेय ने कहा कि ऋण की बढ़ती निगरानी के साथ ही बढ़ती फॉरेंसिक ऑडिट की आवश्यकता पर भी आरबीआई के निर्देश सही दिशा में एक कदम है।

भारत डेलॉइट टूचे टोहमात्सू इंडिया लिमिटेड के पार्टनर (फॉरेंसिक- वित्तीय सलाहकार) के वी कार्तिक ने कहा कि रिजर्व बैंक इसकी रोकथाम के लिए वर्षों से सक्रिय है और समय-समय पर इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करता है।

उन्होंने कहा कि हालांकि इन दिशानिर्देशों को लागू करना और जोखिम प्रबंधन प्रणाली की स्थापना करना बैंकों पर निर्भर करता है।

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