मुंबई, 30 सितंबर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया. वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ने और दुनिया के विभिन्न देशों में मौद्रिक नीति को आक्रामक रूप से कड़ा किये जाने के कारण यह कदम उठाया गया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भू-राजनीतिक संकट के साथ उत्पन्न चुनौतियों, वैश्विक स्तर पर तंग होती वित्तीय स्थिति और विदेशों से मांग धीमी पड़ने से देश की आर्थिक वृद्धि दर के नीचे आने का जोखिम है. केंद्रीय बैंक ने इस साल अप्रैल में 2022-23 के लिये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया था. उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न करकों को ध्यान में रखते हुए जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है.’’
दास ने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत चौथी तिमाही में 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके ऊपर-नीचे जाने का जोखिम बराबर है. वित्त वर्ष 2023-24 में इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.’’ निजी खपत और निवेश मांग में तेजी वृद्धि से चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी यानी स्थिर मूल्यों पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही थी और महामारी-पूर्व स्तर से 3.8 प्रतिशत ऊंची रही थी. दास ने हालांकि आगाह किया, ‘‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं.’’ उन्होंने यह भी कहा कि दूसरी तिमाही के महत्वपूर्ण आंकड़े (निर्यात, जीएसटी संग्रह जैसे आंकड़े) संकेत देते हैं कि आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं. शहरों में मांग बनी हुई है और कोविड-19 के कारण ढाई साल प्रभावित होने के बाद त्योहारों के दौरान इसमें तेजी की उम्मीद है. यह भी पढ़ें : ‘वैश्विक व्यापार मांग’ के अनुरुप नए शहरों का निर्माण किया जा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
दास ने कहा कि गांवों में भी मांग गति पकड़ रही है और निवेश में तेजी है. बैंक कर्ज नौ सितंबर, 2022 की स्थिति के अनुसार 16.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. बैंकों और गैर-बैंकों से वाणिज्यिक क्षेत्रों को वित्तीय संसाधनों का कुल प्रवाह उल्लेखनीय रूप से सुधरा है और अबतक (नौ सितंबर तक) चालू वित्त वर्ष में 9.3 लाख करोड़ रुपये रहा. जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1.7 लाख करोड़ रुपये था. दास ने कहा कि तेल और सोने के इतर अन्य आयात मजबूत बना हुआ है. यह बताता है कि घरेलू मांग में सुधार है जबकि वैश्विक स्तर पर मौजूदा परिवेश के कारण वस्तु व्यापार में वृद्धि के समक्ष चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में भी स्थिति सुदृढ़ बनी हुई है. 29 सितंबर की स्थिति के अनुसार मानसूनी बारिश दीर्घकालीन औसत से सात प्रतिशत अधिक रही. खरीफ बुवाई 23 सितंबर तक सामान्य बुवाई क्षेत्र से 1.7 प्रतिशत ऊंचा रही. दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.