भोपाल, तीन दिसंबर मध्यप्रदेश सरकार ने रायसेन जिले के रातापानी वन को बाघ अभयारण्य घोषित किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
कान्हा, सतपुड़ा, बांधवगढ़, पेंच, संजय दुबरी, पन्ना और वीरांगना दुर्गावती के बाद यह राज्य का आठवां बाघ अभयारण्य है।
राज्य सरकार ने सोमवार को रातापानी बाघ अभयारण्य के लिए अधिसूचना जारी की।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि बाघ अभयारण्य बनने से, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से बजट मिल सकेगा जिससे वन्यजीवों का बेहतर तरीके से प्रबंधन संभव होगा।
इसमें कहा गया कि रातापानी बाघ अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 1,271.465 वर्ग किलोमीटर होगा।
विज्ञप्ति में कहा गया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश के बाद रातापानी वन को राज्य का आठवां बाघ अभयारण्य घोषित किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया कि रातापानी बाघ अभयारण्य का मुख्य क्षेत्र 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर क्षेत्र 507.653 वर्ग किलोमीटर है।
इसमें कहा गया कि अभयारण्य में भौगोलिक रूप से स्थित नौ गांवों को वन की अधिसूचना में मुख्य क्षेत्र से बाहर रखा गया है जिससे ग्रामीणों के मौजूदा अधिकारों में कोई बदलाव नहीं होगा।
रातापानी वन प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे रायसेन जिले में स्थित है। एनटीसीए की तकनीकी समिति ने एक दिसंबर को मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान को भी बाघ अभयारण्य का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। राज्य सरकार ने अभी तक इसके लिए अधिसूचना जारी नहीं की है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान देश में चीतों का एकमात्र निवास स्थान है। यह श्योपुर जिले में स्थित है और माधव राष्ट्रीय उद्यान के करीब है।
एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी ‘बाघों की स्थिति: भारत में शिकारी और शिकार-2022’ रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में बाघों की आबादी 785 होने का अनुमान है, जो देश में सबसे अधिक है। इसके बाद कर्नाटक में 563 और उत्तराखंड में 560 बाघ हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)