नयी दिल्ली, 17 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान की जल जीवन मिशन योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के मामले में गिरफ्तार कथित बिचौलिये को मंगलवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने आरोपी संजय बदाया को राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया कि क्या संबंधित विभाग के तत्कालीन मंत्री को मामले में आरोपी बनाया गया है जिनकी ओर से आरोपी ने कथित तौर पर धन प्राप्त किया था।
पीठ ने टिप्पणी की कि, ‘‘ स्वीकार्य तथ्य है कि उक्त मंत्री को वर्तमान मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है।’’
ईडी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि मामले की जांच जारी है।
पीठ ने बदाया को जमानत देते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं और ईडी ने दस्तावेजों को जब्त कर लिया है
शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुए हैं, 50 से अधिक गवाहों से पूछताछ होनी बाकी है तथा साक्ष्य लगभग 8,000 पृष्ठों के हैं।
केंद्र की जल योजना का उद्देश्य नल कनेक्शन के जरिये घर-घर सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। इसे राजस्थान में राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
ईडी ने राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर धनशोधन का मामला दर्ज किया है।
ईडी ने जांच के सिलसिले में जन स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, राजस्थान के पूर्व मंत्री महेश जोशी और पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल के आवासीय और आधिकारिक परिसरों सहित जयपुर और दौसा स्थित परिसरों की तलाशी ली थी।
जोशी राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश बदाया की याचिका पर पारित किया। बदाया ने अधिवक्ता विवेक जैन के माध्यम से याचिका दायर कर राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें 11 नवंबर को उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी।
ईडी ने बदाया को जुलाई में गिरफ्तार किया था।
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